सामान्यतः मनुष्यों को जल, भाफ, अग्नि, विद्युत, वायु, गैस आदि की शक्ति का तो अनुभव हुआ करता है, परन्तु ‘शब्द’ में भी कोई ऐसी शक्ति होती है, जो स्थूल पदार्थों पर प्रत्यक्ष प्रभाव डाल सके, इस पर उनको शीघ्र विश्वास नहीं होता। वे यह तो मान सकते हैं कि मधुर शब्दों से श्रोता का चित्त प्रसन्न होता है कठोर शब्दों से विषण्णता उत्पन्न होती है, भावयुक्त संगीत-लहरी से हृदय का तार-तार झनझना उठता है, वीरतापूर्ण गीत जब आवेश-युक्त स्वर में गाया जाता है तो सैनिक मरने-कटने को उछलने लगते हैं। पर ये सब ऐसे भावनात्मक प्रभाव हैं, जिनका अनुभव प्रत्येक व्यक्ति समान रूप से नहीं कर सकता। कोई भी करुणोत्पादक गीत कोमल और कठोर हृदय वाले दो भिन्न व्यक्तियों पर एक-सा प्रभाव नहीं डाल सकता। इसी प्रकार कोई शृंगार रसपूर्ण गायन एक सद्य-विवाहित नवयुवक और वृद्ध संन्यासी को एक समान प्रभावित नहीं कर सकता।
पर अब अनेक वैज्ञानिक परीक्षणों द्वारा इस बात को सिद्ध कर रहे हैं कि शब्दों का प्रभाव केवल भावनात्मक ही नहीं होता वरन् उनके द्वारा जो अदृश्य तरंगें वातावरण में उत्पन्न होती हैं, उनसे अनेक पदार्थों को निश्चित रूप से प्रभावित किया जा सकता है। उदाहरण के लिये यदि किसी काँच के गिलास को हल्की चोट द्वारा बजाकर उसके साथ उसी से मिलती ध्वनि ‘पियानो’ या सारंगी आदि किसी वाद्य-यन्त्र द्वारा लगातार ब