यथा धेनुसहस्रेषु वत्सो गच्छति मातरम्।
तथा यच्च कृतं कर्म कर्त्तारमनुगच्छति।।
जैसे हजारों गायों में भी बछड़ा अपनी माता को पहचानकर उसी के पास जाता है |ठीक उसी प्रकार मनुष्य जो भी कर्म करता है वह उसके पीछे-पीछे चलता है अर्थात् उसे अपने किए का फल भोगना ही पड़ता है।