●शास्त्राण्यधीत्यापि भवन्ति मूर्खा यस्तु क्रियावान् पुरूष: स विद्वान् ।
सुचिन्तितं चौषधमातुराणां न नाममात्रेण करोत्यरोगम् ॥
● शास्त्रों का अध्ययन करने के बाद भी लोग मूर्ख रहते है । परन्तु जो क्रिया शील है वही सही अर्थ से विद्वान है ।
किसी रोगी के प्रति केवल अच्छी भावना से निश्चित किया गया औषध रोगी को ठीक नही कर सकता ।
वह औषध नियमानुसार लेने पर ही वह रोगी ठीक हो सकता है ।