यो नः पिता जनिता यो विधाता धामानि वेद भुवनानि विश्वा ।
यो देवानां नामधाSएकSएव तँ्सम्प्रश्नं भुवना यन्त्यन्या ॥
भावार्थ -- जो परमेश्वर , हम सबका रक्षक , जनक और हमारे सब कर्मों का फलदाता है , वही भगवान् , सब लोक लोकान्तरों का ज्ञाता और अग्नि , वायु , सूर्य , चन्द्र , वरुण , मित्र , वसु , यम , विष्णु , बृहस्पति , प्रजापति आदि दिव्य , देवों के नामों को धारण करनेवाला एक ही अद्वितीय अनुपम परमात्मा है , उसी परमात्मा के आश्रित होकर , अन्य सब लोक गतिशील हो रहे हैं । दुर्लभ मानवदेह को प्राप्त हो कर , इसी परमात्मा की जिज्ञासा करनी चाहिए । इसी के ज्ञान से मनुष्य देह सफल होगी अन्यथा नहीं ।