आंधी तूफान
मुश्किल में जान
शूल प्रस्तर शीशा
बाधाएं तमाम
रुके बिना
थके बिना
विपरीत आवाजें
सुने बिना
बढ आगे ही आगे
खींच लक्ष्य के धागे
परिश्रम के रथ पर
होकर सवार
भरकर हौसलों की
जोरदार हुंकार
निर्ममता से काट
कठिनाइयों का जाल
तेज रख बस
अपनी चाल
पत्थरों से बना के पुल
भर सीने में जोश फुल
डर से कभी झुकना नहीं
लक्ष्य से तू डिगना नहीं
दूरी कोई ज्यादा नहीं
पर्वत कोई बाधा नहीं
गर्व से उन्नत कर भाल
पहन कर ये विजयमाल
अहं से सर्वदा दूर रह
सत्य वचन निडर कह
संघर्ष के बिना कहां मंजिल
मेहनत के बिना क्या हासिल
कोई साथ दे या ना दे
मजबूत रख अपने इरादे
फिर ये जहां तेरा है
खुशियों का तब डेरा है
श्री हरि
19.9.22