कट्टर ईमानदारी का लबादा ओढ़कर
बेइमानी की नई इबारत गढ रहे हो
झूठ की रोज नई नई दुकान खोलकर
बासी, सड़ा हुआ माल बेच रहे हो
मीडिया को कौड़ियों के भाव खरीद कर
अपनी हवा हवाई छवि गढ रहे हो
पर शायद तुम्हें यह पता नहीं है कि तुम
आम आदमी के विश्वास की शक्ति को छल रहे हो
विश्वास का पौधा लगाने में उम्र गुजर जाती है
मगर इसे उखड़ने में एक पल नहीं लगता है
पर ये ध्यान रखना सर जी कि ये आम आदमी है
ये सिर पे बैठाता है तो पटकने में भी देर नहीं करता है
श्री हरि
19.10.22