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27 अप्रैल 2022

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वो रोज की तरहा आज भी ऑफिस को लेट हो गया था। जल्दी जल्दी भागते सासें फुलाता लिफ़्ट के पास आ गया था। 
कितना सेक्रेटरी के पीछे लग लग कर उसने ये सोसाइटी की लिफ़्ट चालु करवा दी थी, आखिर दसवें मजले से नीचे उतरना और वो भी रोज कोई जोक् थोड़ी ही हैं। 
वो लिफ़्ट के गेट पर आ गया, सामने निव्या खड़ी थी। 
"क्या हुवा बेटा स्कूल नहीं गई"...? 
"अंकल क्या हुवा ना...,मेरा कलर बॉक्स कहीं खो गया हैं, पापा से कहुंगी तो वो डाटेंगे.. ऊपर से फटके पडेंगे सो अलग"
"ये तो बड़ी मुश्किल है, चलो हल कर देते हैं"..! 
समीर ऊसे दुकान पर ले आया वो जानता था चित्रकारी का निव्या को कितना गहरा पैशन है, उसके बनाऐ चित्र इतने जीवित होते हैं मानो कागज से अभी बाहर ही चले आएँगे। 
"थैंक्यू अंकल! पर पापा से मत कहना आ..sss मेरे पॉकेट मनी से मै आपके पैसे लौटा दुगी प्लिस रेक्वेस्"... 
"नहीं कहुंगा बस एक शर्त हैं"
क्या? 
"आज तुम्हे चित्र प्रतियोगिता मे जितना होगा".... 
"ओ फो अंकल..,आज नहीं हैं वो कल हैं"...! 
समीर जानता था पिछले कुछ महिनो से वो तयारी कर रही थी। 
"ठीक हैं तो मै चलता हु तुमे स्कूल छोड़ दु"...? 
"हा चलीए"... 

श्याम हो गयी। 
थका हारा समीर लिफ़्ट के पास आ गया, बहोत बटन दबाने के बाद भी वो लिफ़्ट नीचे नहीं आ रही थी, बस खाट खुट् की आवाज़ सुनाई दे रही थी। 
फिर से सेक्रेटरी को मन ही मन गालियाँ देता सिडिया चड़ते वो ऊपर आ गया। 
बहोत शोरगुल सुनाई दे रहा था, सोसाइटी के मेम्बर वहा खड़े थे लिफ़्ट के पास। 
उसने करीब जा कर देखा पुरा लाल रंग गिरा हुवा था। 
"क्या हुआ"...? 
"साहब अब क्या बताये, वो शर्मा जी की बेटी निव्या हैं ना लिफ़्ट में घुस रही थी दो दरवाजो के बीच में हाथ आ गए और".... 
"सामने देखिये"..! 
दरवाजे़ के पास एक कटा हुवा हाथ पड़ा था जिसकी उंगली ओ पर अलग अलग कलर लगे थे... 
लाल, नीला, पिला. बहोत सारे 
मृत कटा हाथ किसी जीवित चित्र् की तरहा लग रहा था.. 


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रचनाएँ
अनुभव
5.0
ये पुस्तक मेरी कहानियों का प्रथम संग्रह है, जीवन;...मृत्यु; के बिच जो एक बहती हुई अनंत रेषा होती है इसके बारे मे भी ये कहानियां कुछ बोलती है। ये कोई मत, उपदेश, या किसी भी तरह का तत्वज्ञान नहीं ये सिर्फ बोलना है। कुछ पात्र आती हुई मुश्क़िलों का सामना कर आगे बढ़ जाते है, तो कुछ समस्या को सुलझा ना पाने के कारण उन्हीं आफतो को लेकर इस अनंत रेषा पर चलते है। हर पल एक अनुभव है! आप अनुभव पैदा नही कर सकतें आप को उससे होकर गुजरना होता है..!
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