इस कहानी में एक लड़का है जो अपनी जिंदगी में सिर्फ परेशानी से ही गुजरता है । इस कहानी में इस कहानी में इस लड़के के साथ एक के बाद एक परेशानियां और मुसीबतें होते रहते हैं। और वह अपनी जिंदगी खुशी से और यही है अपनी जिंदगी जैसे मान के जीते जाता है।
पिछले कुछ वर्षों से मैं नई दिल्ली के जी.बी. रोड (रेड लाइट एरिया) में कुछ तलाश कर रहा था। यकीन से कहूं तो ये मैं भी नहीं जानता था कि आखिर मैं क्या तलाश कर रहा हूं? सैकड़ों वेश्याओं से मिलने और उनसे बातचीत करने के बाद भी मेरी तलाश खत्म नहीं हुई थी। ...औ
In these stories, this attempt to show the pain of love has been tried. Every time love remains one-sided and incomplete and falls at the wrong time, wrong age, or wrong person. The first word of each story is 'God' and the last word is 'But' which s
Bhartiya Police Jaisa Maine Dekha Read more
Yeh Sambhav Hai Read more
देश और समाज में हर दिन घटने वाली घटनाओं को हम देखते, सुनते, पढ़ते रहते हैं। हर घटना का देश और समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है। कुछ घटनाएं हमारे चेहरे पर मुस्कान लाती हैं, प्रेरणा देती हैं तो कुछ घटनायें हमें बैचेन कर देती हैं, हमारे ज़हन में कई सवाल खड़
चाहे खेल हो, कोई उद्योग हो, विज्ञान हो, खाद्य हो, शिक्षा हो या धर्म की बात हो, मनुष्य हर संभव क्षेत्र में जानवरों की जमकर दुर्गति करता है। जानवरों को लहूलुहान करने में मानव जरा भी संकोच नहीं करता। अजीब विडंबना है कि पूरी मनुष्य-जाति एक ओर प्रेम की बा
अपने दिल के भावनाओं को शब्द के रूप में उतारने का छोटा सा प्रयत्न किया हूँ शायद आप लोग के दिल को छू सकूँ ।
इस आयाम के अंतर्गत आप कवि शिवमंगल सिंह 'सुमन' की कविताएँ पढ़ सकते हैं I
यह कहानी एक लड़की की है। जो एक छोटे से गांव की रहने वाली है। लड़की का नाम सोनल तिवारी है। सभी लोग प्यार से सानू बुलाते है। सोनल का जन्म 2 अप्रैल 1998 को हुआ था। पिता का नाम श्री लखन लाल तिवारी हैं। माता का नाम श्री मति शशि तिवारी हैं। बड़े भाई का नाम
भारती का सपूत हिन्दी निर्माताओं में से एक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के जीवन पर आधारित अत्यन्त रोचक और मौलिक रचना है। भारतेन्दु हरिश्चन्द्र को आधुनिक हिन्दी का पितामह माना जाता है। महाकवि जगन्नाथ दास 'रत्नाकर' ने उन्हें 'भारती का सपूत' कहा था। उन्नीसवीं श
Vaaris Tatha Anya Kahaniya Read more
सूरज तो निकलेगा ही, तपन संग दमकेगा ही, छांव छोड़ बाहर आना ही होगा, तपिश उसका सहना ही होगा। रास्ते पथरीली मिलेंगे ही, कंकड़ सुई सा चुभेंगे ही, उबड़ खाबड़ राह पर चलना ही होगा, कदम आगे बढ़ाना ही होगा। मुश्किलें सफर में मिलेंगे ही, पसीना तो तन से बहें
इस आयाम के अंतर्गत आप हिंदी साहित्यकार दुष्यंत कुमार की कविताएँ पढ़ सकते हैं I
Yeh Kya Ho Gaya Read more