सब अपना अपना कहते हैं ,कहते हैं गैरों में क्या रखा है|
जब दिल से दिल मिलते नहीं,फिर पैरों में क्या रखा है||
1 सितम्बर 2015
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मेरा नाम पुनीत द्विवेदी है मैं बी.एस सी का विद्याऱथी हूं मेरा निवास स्थान सिंहपुर कछार बैरी कल्यानपर कानपुर नगर है मै ११ वीं से लेखन काऱय मे हूं मेरी पहली कविता आशा पंछी बनने की कानपुर महोत्शव २०११ की बिगुल स्मारिका मे पृकाशित हुई.D