बकौल मोहब्बत वो मुझसे पूछता है
दिल के मकान के उस कमरे में
क्या?अब भी कोई रहता है।
थोड़ा समय लगेगा,ध्यान से सुनना
बड़ी शिद्दत से बना था वो कमरा
कच्चा था पर उतना ही सच्चा था
उसे भी मालूम था
कि उसकी
एक एक ईंट जोड़ने में
मेरी
एक एक धड़कन निकली थी
इकरारनामा तो था
पर
उस पर उसके दस्तख़त न हो पाए
उसे कोई दूसरा कमरा पसंद था
मेरा कमरा थोड़ा कच्चा था
सो अब सीलन पड़ने लगी थी
थोड़ी दरारें भी आ गईं थी
लोगों के कहने पर
थोड़ी
मरम्मत करवाई है
सीलन और दरारें थोड़ी भरने लगी हैं
अब मैं वो कमरा किराये पर लगाता हूँ
किरायेदार भी अच्छे मिल जाते हैं
पर किसी में ऐसी बात नहीं मिली
कि कमरे को मकान से जोड़ दे
दरारे कम हो गई हैं
पर अब भी कुछ बाकी हैं
हाँ, मैंने इकरारनामे की कुछ शर्तें
बदल जरूर दी हैं
किराया ठीक ठाक मिल जाता है
तकलीफ अब उतनी नहीं होती।
©युगेश
बातें कुछ अनकही सी...........: दिल के किराएदार