मैं एक कवी हूँ,जाहिर है कविता मुझे पसंद है/पर एक बार अनायास ही ख्याल आया की इतनी सारी कवितायेँ पढ़ी और लिखी पर कभी ऐसी कोई कविता नहीं पढ़ी या लिखी जो कविता क्या है बतलाती हो/तो क्या है कविता इसे बतलाने की मेरी एक कोशिश..........
मैं विचार हूँ,मैं उद्गार हूँ
कभी प्यार तो कभी आभार हूँ
कभी किसी का क्रोध हूँ
तो कभी आत्मबोध हूँ
मैं कौन हूँ?मैं कविता हूँ।1।
चित्र-गूगल आभार |
कभी आवेग हूँ तो कभी राग हूँ
मैं विचारों का शैलाब हूँ
कभी तरुण हूँ,कभी प्रौढ़ हूँ
जीवन के पहलु से मैं युक्त हूँ
मैं कौन हूँ,मैं कविता हूँ।2।
मेरे रूप में विस्तार है
कभी वीर है,कभी श्रृंगार है
कभी विभस्त,करुण, अद्भुत,रौद्र
तो कभी शांत,तो कभी हास्य है
मैं कौन हूँ?मैं कविता हूँ।3।
कभी माकनलाल की अभिलाषा हूँ
कभी दुष्यंत की परिभाषा हूँ
कभी मधुसाला की हाला हूँ
तो कभी कालजयी महाभारत हूँ
मैं कौन हूँ?मैं कविता हूँ।4।
मैं साहित्य का परिचायक हूँ
मैं इसको सम्पूर्ण करूँ
कभी होली हूँ,कभी दीवाली हूँ
मैं साहित्य की रवानी हूँ
मैं कौन हूँ?मैं कविता हूँ।5।
मैं परस्पर हूँ,मैं निरंतर हूँ
उन्मुक्त विचारों का द्योतक हूँ
जब तक मानव सभ्यता है
मैं जिन्दा हूँ
मैं कौन हूँ? मैं कविता हूँ।6।
बातें कुछ अनकही सी...........: मैं कविता हूँ