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बातें कुछ अनकही सी...........: ठहर जाने दो पानी की इन छींटों को

7 जुलाई 2017

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ठहर जाने दो पानी की इन छींटों को चेहरे पर

कि ये मुझे ऐसे ही अच्छे लगते हैं

इनका गिरना,फिसलना,भटकना

मेरी तेरी आँख मिचौली से लगते हैं

ये बूँदें जो तुम्हारे लाली को समेटते हुए

उसके भार से गिरने को आमद हों

बता देना मुझे,मैं हथेली पर रख लूँगा उन्हें

क्योंकि एहसास होगा उनमें तुम्हारा

एक ठंडक सी होगी जो तुम महसूस न कर सको

पर मुझे इल्म है उसका,उस सुकून का

जो ज़िद पर आ जाए वो बूँदें

और ठहर जाना चाहें रुकसार पर तुम्हारे

थोड़ी सी रहमत करना उन पर

मैंने सुना है सीपियों में मोती बनते हैं

आज देखना चाहता हुँ

सुना है बारिश के बाद हल्की सी धूप होती है

डर है मुझे कहीं चुरा न ले जाये ये सूरज

इन मोतियों को फिर से कोई नई माला गूँथने

सो उठा लिया मैंने उन मोतियों को अपने होंठों से

कि अब वो मेरा हिस्सा थी जिनमें तेरा हिस्सा था

और मुस्कुरा उठी तुम मेरी नासमझी पर

अचानक फिर से तुम्हारे चेहरे पर एक बूँद आ टिकी

और लगा दिए तुमने अपने गाल मेरे गालों पर

और ठहर गयी वो बूँद

अब मुझे धूप का इंतज़ार था

मोती के माले जो गूँथवाने थे सूरज से

जिसमे तेरा हिस्सा था,जिसमे मेरा हिस्सा था/

© युगेश

बातें कुछ अनकही सी...........: ठहर जाने दो पानी की इन छींटों को

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बातें कुछ अनकही सी...........: अंतर्द्वन्द

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मैं हूँ रज़िया बेग़म

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मैं हूँ रज़िया बेग़ममैं एक वैश्या हूँपता है,अब आप थोड़े संकोच में होंगे पर इसमें कोई नई बात नहीं उजाले में सब कुछ अच्छा लगना चाहिए और मैं इस उजाले का नहींउस अँधेरे का हिस्सा हूँ जिसे ये पाक़ समाज अछूत समझता है पर जिस तरह प्यार के आगे धर्म नहीं आता शायद जिस्म के आगे भी धर्म नहीं आता अँधेरे में तो मुखौटे

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कम्बख्त,इश्क़ में लग गए

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"मोहल्ले के लौंडों का प्यार अक्सर इंजीनियर डॉक्टर उठा कर ले जाते हैं।"रांझना फिल्म का ये डॉयलोग तो आपके जेहन में होगा ही।practical life में यानी की असल जिन्दगी में प्यार काफी हद तक ऐसा ही होता है।अब हर लव स्टोरी तो srk की फिल्मों की तरह होती नहीं कि पलट बोला और लड़की पलट ग

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बातें कुछ अनकही सी...........: धीमे-धीमे जो उजले-काले बादलों में

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धीमे-धीमे जो उजले-काले बादलों में पड़ती हैसूरज की लालिमा वैसे धीरे-धीरे मेरे दिल मे उतरता है रंग तेरा जिसके बहुतेरे रूप हैं हर एक खास और हर एक बाकियों से जुदा और बरस पड़ते हैं उस साल की पहली बारिश की तरह फर्क बस ये है वो बारिश धरती को भिंगोती है तो दूसरी मेरे रूह को जो झर-झ

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बातें कुछ अनकही सी...........: और केश सफेद हैं,कुछ तेरे कुछ मेरे

20 जून 2017
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बातें कुछ अनकही सी...........: ठहर जाने दो पानी की इन छींटों को

7 जुलाई 2017
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ठहर जाने दो पानी की इन छींटों को चेहरे पर कि ये मुझे ऐसे ही अच्छे लगते हैं इनका गिरना,फिसलना,भटकना मेरी तेरी आँख मिचौली से लगते हैं ये बूँदें जो तुम्हारे लाली को समेटते हुए उसके भार से गिरने को आमद हों बता देना मुझे,मैं हथेली पर रख लूँगा उन्हें क्योंकि एहसास होगा उनमें तु

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बातें कुछ अनकही सी...........: शादी या कैरियर

14 जुलाई 2017
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जीवन के पड़ाव का जब २५वाँ वसंत आता है तो आपकी आक़ांक्षाएँ बदलने लगती हैं/ नौकरी और शादी दो ऐसे ज्वलंत विषय बन जाते हैं जो की ना केवल आपको बल्कि आपके माता-पिता,रिश्तेदारों सभी को बहुत परेशान करते हैं/ ऐसे में Donald Trump के राष्ट्रपति बनने पर जितना Mexico परेशान ना हुआ हो

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बातें कुछ अनकही सी...........: अब कहने को रह ही क्या गया था दरमियाँ

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बातें कुछ अनकही सी...........: खर्राटे

24 अगस्त 2017
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24 अगस्त 2017
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ये तिलिस्म अपना तोड़ देक्या कर सकेगा छोड़ देये रूह टूटी ही सहीमैं जोड़ लूंगा,छोड़ दे।मैं कर्ण सा बलवान हूँबिखरा हुआ पर अभिमान हूँचित्र-गूगल आभार जिसने दे दिए कवच और कुंडलबिखरा सही पर दयावान हूँ।हुंकार की आधार परतेरे खोकले अहँकार परजा ढूँढ़ ले डरते हैं जोमैं जीता अपने अभिमान पर।ये लोक नीति ही नहींये शोक न

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बातें कुछ अनकही सी...........: चर्चे तेरे ही होंगे,ये कोई और नहीं

19 सितम्बर 2017
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इश्क़ ऐसा हुआ कि मैं खो गया लोगों ने ढूँढा पर मिला नहीं इश्क़ की चाशनी को तेरे लबों से उठाया मिठास ऐसी की अब तक घुला नहीं तूने नाक पर नथुनी को सजा ऐसे दिया चाँद को खुले आसमान में जैसे देखा नहीं ये जो आँखों के तले जो काजल तूने लगाया अँधेरे में ऐसा डूबा की उठा नहीं तेरी चूड़िय

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मेरी आँखें पढ़ माँ बोल देती है

19 सितम्बर 2017
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लाख गुजर जाए उस पर,पर वो छोड़ देती हैमैं कितना भी छुपाऊँ,मेरी आँखें पढ़ माँ बोल देती है।उसकी सिसकियों को लोग उसकी कमज़ोरी समझते हैंवो तोड़ती है खुदको,पर मुझे जोड़ देती है।तुमने तिनके उठाते तो देखा होगा चिड़ियाँ कोमाँ वो है जो तिनकों से घर को जोड़ देती है।मेरे जरा सी मेहनत पर मुझे गुरुर सा आ गयावो तो रोज़ कर

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बच्चे खुला आसमान चाहते हैं

8 अक्टूबर 2017
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जो उनके खेलने की उम्र में उनसे खेल जाते हैंबताइये इतनी दरिंदगी कहाँ से लाते हैंनासमझ ने गुड्डे को गिर जाने पर बड़े प्यार से सहलाया थावो गुड्डे-गुड़ियों को गिराते हैं फिर नोच जाते हैं।वो जो सबकी नाक में दम कर देता थाउसके चेहरे की शरारत को गुम क्यूँ पाते हैंव्यस्त ज़िन्दगी

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30 दिसम्बर 2017
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#slapfestआज न्यूज़ देखते समय नज़र टिकी एक न्यूज पर।बहुत ही खास थी।पढ़ा तो पता चला धौंस दिखाने के चक्कर में एक नेत्री को एक सिपाही साहिबा ने दिन में तारों की सैर करवा दी।अच्छा लगा पढ़कर और सिपाही साहिबा की भी तारीफ करने को जी चाहा -नेत्री जी अड़ गईंएक तमाचा तपाक जड़ गईंसोचा सिया

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Black buck को धराशायी कर फिल्हाल भाईजान धराशायी हो गए कुछ खुश हो गए तो भाई के fans रूष्ट हो गए आखिर भाई ने इतनों का भला किया हिरण की आत्मा ने पुकार लगाई तो साले मैंने किसका बुरा किया सुना 20 साल हो गए अब तो उसके पुनर्जन्म की बात होगी अरे!आपने फिल्में नहीं देखी उसे इंसाफ म

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बातें कुछ अनकही सी...........: अहं

8 मई 2018
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धृतराष्ट्र आँखों से अंधा पुत्र दुर्योधन अहं से अंधा थाउसकी नज़रों से देखा केशव ने चारों ओर मैं ही मैं था|1| जब भीम बड़े बलशाली सेबूढ़े वानर की पूँछ न उठ पाईबड़ी सरलता से प्रभु नेअहं को राह तब दिखलाई|2| जैसे सुख और माया मेंधूमिल होती एक रेखा हैवैसे मनुज और मंज़िल के बीचमैंन

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बातें कुछ अनकही सी...........: सवाल कुछ यूँ भी हैं जिंदगानी में

29 मई 2018
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सवाल कुछ यूँ भी हैं जिंदगानी में कि अश्क हैं भी और गिरते भी नहीं। शरीर टूटता है उन कामगार बच्चों का एक आत्मा थी जो टूटी है पर टूटती भी नहीं। उस बच्ची का पुराना खिलौना आज मैंने कचरा चुनने वाली बच्ची के पास देखा पता है खिलौना टूटा है,पर इतना टूटा भी नहीं। ठगे जाते हैं लोग अ

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इच्छाएँ मन मझधार रहीं

21 जून 2018
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इच्छाएँ मन मझधार रहीं न इस पार रहीं न उस पार रहीं उम्र बढ़ी जो ज़हमत में नादानी हमसे लाचार रहीं कुछ पाया और कुछ खोया गिनती सारी बेकार रही जेब टटोला तो भरे पाए बस घड़ियाँ भागम-भाग रहीं कदम बढ़े जो आगे तो नज़रें पीछे क्यूँ ताक रहीं एक गुल्लक यादों का छोड़ा था स्मृतियाँ हाहाकार रह

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बातें कुछ अनकही सी...........: दिल के किराएदार

23 जुलाई 2018
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बकौल मोहब्बत वो मुझसे पूछता है दिल के मकान के उस कमरे में क्या?अब भी कोई रहता है। थोड़ा समय लगेगा,ध्यान से सुनना बड़ी शिद्दत से बना था वो कमराकच्चा था पर उतना ही सच्चा था उसे भी मालूम था कि उसकीएक एक ईंट जोड़ने में मेरीएक एक धड़कन निकली थी इकरारनामा तो थापर उस पर उसके दस्तख़त

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बातें कुछ अनकही सी...........: एक कविता मेरे नाम

23 दिसम्बर 2018
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बात तब की है जब मैं धरती पर अवतरित हुआ चौकिए मत हमारा नाम ही ऐसा रखा गया युगेश अर्थात युग का ईश्वर अब family ने रख दी हमने seriously ले ली खुद को बाल कृष्ण समझ बैठे खूब मस्ती की पर गोवर्धन उठा नहीं पाए पर पिताजी ने बेंत बराबर उठा ली और कृष्ण को कंस समझ गज़ब धोया मतलब सीधा-

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बातें कुछ अनकही सी...........: शनाख़्त मोहब्बत की

23 दिसम्बर 2018
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शनाख़्त नहीं हुई मोहब्बत की हमारी जज़्बात थे,सीने में सैलाब था पर गवाह एक भी नहीं लोगों ने जाना भी,बातें भी की पर समझ कोई न सका समझता भी कैसे अनजान तो हम भी थे एक हलचल सी होती थी जब भी वो गुज़रती थी आहिस्ता आहिस्ता साँसें चलती थी एक अलग सी दुनिया थी जो मैं महसूस करता था मेरी

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बातें कुछ अनकही सी...........: अवसाद

30 अप्रैल 2019
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"अवसाद" एक ऐसा शब्द जिससे हम सब वाकिफ़ हैं।बस वाकिफ़ नहीं है तो उसके होने से।एक बच्चा जब अपनी माँ-बाप की इच्छाओं के तले दबता है तो न ही इच्छाएँ रह जाती हैं ना ही बचपना।क्योंकि बचपना दुबक जाता है इन बड़ी मंज़िलों के भार तले जो उसे कुछ खास रास नहीं आते।मंज़िल उसे भी पसंद है पर र

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