क्योंकि,हर प्यार का अंत बुरा नहीं होता/क्योंकि,कई प्यार का कोई अंत भी नहीं होता।कई प्यार की कहानियाँ शाहरुख खान की फिल्मों की तरह भी होती हैं।हालाँकि, उसमे स्विट्ज़रलैंड के मनोरम दृश्य नहीं होते पर होते हैं बहुत से मनोरम पल,जिसमे होती हैं कुछ खट्टी-मीठी यादें,और जी लेते हैं उन्हें एक दूसरे के हाँथ पकड़े।एक उम्र बीत जाती है उस प्यार को जिये हुए।हाँ, कुछ केश सफेद जरूर हो जाते हैं, पर चमक अब भी वही पुरानी रहती है-
जज्बातों के शैलाब को ओढे
मैं निकल पड़ा तेरे ख्वाब को ओढे
रास्ते में बिखर गई वो पोटली,और टूट गए
कुछ सपने,कुछ तेरे कुछ मेरे
दरख्तों के रास्ते जाती वो पगडंडी,याद है
पैरों के निशान पड़े थे,कुछ तेरे कुछ मेरे
वो स्पर्श था,आलिंगन था,प्रेम था
जज़्बात थे,कुछ तेरे कुछ मेरे
याद है जब ना समझी में तोहफे लेकर आया
तुमने पूछा कौन सा लूँ,ये भी तेरे वो भी तेरे
तुम्हारे सुंदर मेहंदी को बिगाड़ती मेरी आजमाईश
हमारे अटूट प्यार के बीच न आती
कुछ कमियाँ हैं, कुछ तेरे कुछ मेरे
मेरी गुस्ताखी के बाद भी जो बची थी वो खूबसूरत आकृतियाँ
तुमने पूछा और ये क्या हैं
ये अच्छाइयाँ हैं जो जोड़ती हैं हमें
बहुत कम हैं मेरे ,बहुत से हैं तेरे
बहुत कुछ जो देखा जिंदगी में कुछ सपने टूटते
पर बहुत से जीते
,मैंने तेरे और तुमने मेरे
जब भी दो राह आये जिंदगी की राह में
हाँथ पकड़े,तूने मेरे मैंने तेरे
आज अरसा बीता हम साथ हैं
पता है,केश सफेद हैं,कुछ तेरे कुछ मेरे
©युगेश
बातें कुछ अनकही सी...........: और केश सफेद हैं,कुछ तेरे कुछ मेरे