20 सितम्बर 2015
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लफ़्ज़ों और रंगो से अपने अहसासों को बिखेर देती हूँ . मैं अर्चना हर बूँद में अक्स अपना देख लेती हूँ ।D
हरीश जी ।…मनीष जी ।..rachna पर अपनी प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद
19 अक्टूबर 2015
यह इस संसार की बद्किस्मती है कि हमें अपने बड़प्पन के समय बाबा को पुकारना पड़ता है ।
18 अक्टूबर 2015
बाबा है कि आता ही नहीं।
17 अक्टूबर 2015
dhanyawwad om prakash ji
21 सितम्बर 2015
dhanyawwad om prakash ji
21 सितम्बर 2015
dhanyawwad om prakash ji
21 सितम्बर 2015
अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति !
21 सितम्बर 2015