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सरहद

10 अक्टूबर 2015

133 बार देखा गया 133
( दो देशो के मुखिया अपने घरो में सुरक्षित बैठ कर लड़ते है ......लेकिन  उनकी सजा बेगुनाओ को मिलती है  )

सरहद के इस पार

सरहद के उस पार

पर

सरहदों से दूर

वो लड़ रहे है

लड़ लड़ कर

छुप रहे है

छुप छुप कर

लड़ रहे है

 

नहीं उन्हें मौत का

खौफ

उनकी जगह

कोई और

मर रहे है

वे बेख़ौफ़

घूम रहे है

 

सरहद के इधर

सरहद के उधर  ( रहने वाले )

लड़ नहीं रहे

फिर भी मर रहे है……..

कभी खौफ से

कभी गोली से

ये सरहद से

अपनी

खता पूछ रहे है.

 

 
विश्वमोहन

विश्वमोहन

बहुत सुंदर।

10 जून 2020

मदन मोहन सक्सेना

मदन मोहन सक्सेना

बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति. रूठे हुए शब्दों की जीवंत भावनाएं. सुन्दर चित्रांकन पोस्ट दिल को छू गयी.कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने.. कभी इधर भी पधारें https://www.facebook.com/MadanMohanSaxena

20 दिसम्बर 2017

अर्चना गंगवार

अर्चना गंगवार

आशीष जी ।..vijay जी आभार आपका

25 अक्टूबर 2015

अर्चना गंगवार

अर्चना गंगवार

वर्तिका जी रचना को आपका साथ मिला ।......bahut धन्यवाद

25 अक्टूबर 2015

विजय कुमार शर्मा

विजय कुमार शर्मा

महत्वाकांशा किसी की और परिणाम भुगतें दूसरे यह सिलसिला तो सदियों से चला आ रहा है

25 अक्टूबर 2015

14 अक्टूबर 2015

वर्तिका

वर्तिका

"सरहद के इधर, सरहद के उधर ( रहने वाले ) लड़ नहीं रहे, फिर भी मर रहे है……।" बिल्कुल सत्य कहा आपने! उत्कृष्ठ भावाभिव्यक्ति!

14 अक्टूबर 2015

अर्चना गंगवार

अर्चना गंगवार

पुष्प जी रचना के भाव पर अपने विचारो को साझा करने का सुक्र्रिया

13 अक्टूबर 2015

अर्चना गंगवार

अर्चना गंगवार

महातम मिश्रा जी बहुत बहुत सुक्र्रिया

13 अक्टूबर 2015

पुष्पा पी. परजिया

पुष्पा पी. परजिया

सरहद पर अलविदा कहकर अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले देश के हरेक सैनिक को हमारा हार्दिक सम्मान सह शत शत नमन , साथ उनके परिवार को भी शत शत वंदन .... शहीदों की सहादत की बहुत खूब सूरत रचना .

11 अक्टूबर 2015

40
रचनाएँ
panghat
0.0
गाँव में गोरी खाली गागर और मन में सागर लेकर लेकर पानी भरने पनघट पर जाती है तो वहाँ चार सखिया मिलती है उनसे मन की बात कहती भी है उनके मन की बात सुनती भी है . गागर में पानी और मन में हँसती मुस्कराती ज़िंदगानी लेकर आती है कुछ ऐसा ही ये पनघट है जहाँ कविता के माध्यम से हम अपने अंदर की दुनिया आपसे शेयर कर रहे है . ये पनघट भी हमारी भावनाओ आप तक और आपकी भावनाओ को हम तक पहुचायेगा .
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मुट्ठी बांधकर

31 अगस्त 2015
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जो मुट्ठी बांध के एक उंगली के इशारे से हमको चाँद दिखाते हैहम उनकी मुडी चार उंगलियों में झांकते है की वो क्या है जिसके लिए वो हमें बहलाते है .......

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हां मैं पत्थर हूँ

31 अगस्त 2015
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हां मैं पत्थर हूँमेरी ठोकर सिर्फ़दर्द ही नही देतीधीरे से कहती भी हैरूको ,देखो ,कही तुम ग़लत तो नही जा रहे हो

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प्यास

1 सितम्बर 2015
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पानी से मत पूछोप्यासे से पूछोप्यास क्या होती है.........यदि पानी को ज्ञान हो जाये प्यासे की प्यास का तो शायद वो बहना छोड़ दे रुक जाये , थम जाये और कही तालाब बन कर दूषित हो जाये जब से इंसान कोअपना ज्ञान हो गया हैतभी से वो तालाबकी तरह दूषितहो गया है .................

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पहचान

1 सितम्बर 2015
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सुबह से पूछते शाम तक ढूँढ़ते रात को थक करसो जाते ........नहीं जान पातेअपनी पहचानक्या करने आये है क्या किया हैक्या करके जायेंगेकौन है हम....बतलाओ तुमसुबह से फिर ढूढने शुरू हो जाते........

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बाबा आएगा

2 सितम्बर 2015
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2

बचपन में हम अपनों की गोद में छुपा के सर खुद सुकून से सो जाते थे .......जब कोई कहता बाबा आएगा और उठाकर ले जाएगा आज अपने ही चमन में जब अपनों के सताने से आती नहीं है नीद हमें तो बाबा के पास जाते है और दिखा कर हाथ कहते है बड़े कष्ट में है हम बाबा ले लो तुम हमको अपनी शरण .......

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सीकचे

2 सितम्बर 2015
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बहुत अच्छे है वे लोग जो सीकचो में है उनके हाथो और पैरो में बेड़िया है उन्हें पता है वे किस जुर्म की सजा भुगत रहे है .......पर वोजिनके सीकचे दिखाई नहीं देते और न ही दिखाई देती है उनके हाथो और पैरो की बेड़ियाउन्हें नहीं पता की उनकी सजा किस जुर्म की है......ता उम्र यही ढूँढती रहती है और उम्र कट जाती है .

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आंच से गुज़र कर

3 सितम्बर 2015
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7

आंच से गुज़र करकच्ची मिट्टी पानी में घुलकरमटकी का जिस्म पाती है पर आंच के घर से जब बाहर दुनिया में आती हैफिर पानी घुलती नहींऔर आंच पर चड़ जाती हैतुम भी कच्ची मिट्टी केसफ़र को जीवन में ढालोएक बार आग से गुज़र करफिर आग पर काबू पा लो.

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कलम

3 सितम्बर 2015
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कवि की कलम मेंचित्रकार के रंग में गीतकार के सुर मेंइतना है दमजिसके आगे A .K.47 भी है कम .

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चिंगारी

6 सितम्बर 2015
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चिंगारी झांक रही हर सीने से हवा तेज़ करो सही वक़्त है कलम में स्याहीकुछ और भरो .

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दाल पकाती है

6 सितम्बर 2015
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वो रोज़ आग पर दाल पकाती हैचमचे से खूब चलाती हैहर शक्स को छोंक कर खिलाती हैउम्र के अंतिम मुहाने तक अपने बाल पका कर भी उस ही घर में अपनी दाल क्यों नहीं पका पाती .............

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मै कोहिनूर नहीं ......

13 सितम्बर 2015
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.उतनी भी मै बुरी नहीं जितनी तुमको दिखती हूँतुम भी उतने भले नहीं जितना में समझती हूँमाना मै कोहिनूर नहीं पर पत्थर खालिस दिखती हूँतुम तो खाली कांच के टुकड़े पर हीरे जैसे बनते हो झूठ फरेब का कोट पहनकरखुद को झलते रहते हो ख़ामोशी का कोट पहनकर में भी तकती रहती हूँ .......

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चुम्बक

13 सितम्बर 2015
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लोहे के टुकड़े पर छोटा सा चुम्बक एक ही दिशा में सौ बार रगडो लोहा भी चुम्बक बन जाता है क्योकि एक जैसे अणु पास पास आ जाते है फिर हर लोहा स्वम् खीचा आता है जो इंसान अपने विचार और कामो को एक ही दिशा में रगड़ते है वक़्त आने पर वो भी चुम्बक बन जाते है और लोग स्वंम खींचे चले आते है दशरथ मांझी भी इंसान ही तो

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साथ

14 सितम्बर 2015
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ज़िन्दगी में कुछ साथ ऐसे भी होते हैजो छण में पूर्णता देते है और कुछज़िन्दगी भर साथ रहने पर भी अपूर्ण ही रहते है

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लोग

14 सितम्बर 2015
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ज़िन्दगी में कुछ लोग ऐसे भी होते है जिनसे मिलकर लगता है पहले क्यों नहीं मिले.........और कुछ जिनसे मिलकर लगता है इनसे मिले ही क्यों .

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दर्द

14 सितम्बर 2015
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जब भी कोई दर्द सीने से बाहर आया है .....तुमने कांटो से उसे खूब सहलाया हैमैंने जख्म सुखाने की दावा मांगी थीतुमने जले में नमक छिडकाया है

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प्यास

15 सितम्बर 2015
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पानी से मत पूछोप्यासे से पूछोप्यास क्या होती है.........यदि पानी को ज्ञान हो जाये प्यासे की प्यास का तो शायद वो बहना छोड़ दे रुक जाये , थम जाये और कही तालाब बन कर दूषित हो जाये जब से इंसान कोअपना ज्ञान हो गया हैतभी से वो तालाबकी तरह दूषितहो गया है .................

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सन्नाटे

15 सितम्बर 2015
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सन्नाटो ने थामा है दामन मेरा....हर शाम सर मेरा सहलाया है रात को थपकी दे सुलाया है ......मिलता नहीं जवाब जिन बातो का उन गांठो को सुलझाया है .......सन्नाटो ने पास बैठकर दुनिया से लड़ना सिखलाया है......छुप रहना भी है हथियारऐसी तलवार चलाना सिखलाया है .......वक़्त ज़िन्दगी मेंहर तरह का आएगा सन्नाटे भी है म

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बाबा आएगा

20 सितम्बर 2015
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बचपन में हम अपनों की गोद में छुपा के सर खुद सुकून से सो जाते थे .......जब कोई कहता बाबा आएगा और उठाकर ले जाएगा आज अपने ही चमन में जब अपनों के सताने से आती नहीं है नीद हमें तो बाबा के पास जाते है और दिखा कर हाथ कहते है बारे कष्ट में है हम बाबा ले लो तुम हमको अपनी शरण .......

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खंज़र

24 सितम्बर 2015
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दुश्मनों से मिलो तो मिलो गले लग कर खंज़र छुपे है कहाँ कहाँ कुछ पता तो चले .....

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साथ

25 सितम्बर 2015
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दुनिया के सारे लोग शायद इसी मनोविज्ञान से जुड़े है .रूह को जिस्म का...... जिस्म को जान का........ जान कोदिल का ......दिल को मन का ......साथ चाहिएऔर मन को ????एक और मन का साथ चाहिए ..............

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अरे नौजवानों.......

25 सितम्बर 2015
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अरे नौजवानों.......तुम अपने जोश को....होश में बदलो तुम अपने हौसले को बुलंदी में बदलो अरे कुछ न बदलो तो इतना तो बदलो की जो भी बदलो ज़रा होश में बदलो ......

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मिलकर बैठे

26 सितम्बर 2015
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आओ मिलकर बैठे कुछ बांटे आधा आधा कुछ गाये आधा आधा .....कुछ गुड कुछ चना आओ मिलकर बैठेकुछ खाए आधा आधा......कुछ आंसू कुछ खुशियाँआओ मिलकर बैठेकुछ बांटे आधा आधा कुछ गाये आधा आधा.......

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गम

26 सितम्बर 2015
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गम तो सबके दिल में है पर हँसते लोग कुछ ही है तुम भी दुखी और हम भी दुखी पर खुलकर रोते कुछ ही है छुपाने से कुछ छुपता नहीं ये बात समझते कुछ ही है आंसू में भी स्वाद है एक ये बात परखते कुछ ही है कांटो की चुभन तो सबने सही प्यार कांटो का समझते कुछ ही है ..........

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आधे कपड़ो में पूरी लड़की.........

8 अक्टूबर 2015
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आधे कपड़ो में पूरी लड़कीजब सडक से गुजरती है तोसड़क से तो गुजर जाती है पर दिलो में ठहर जाती है लेकिन  फिर पूरे  कपड़ो में आधी लड़की सड़क से गुजर नहीं पाती और दरिंदगी से गुज़र जाती है  वो आधी लड़की दुनिया से गुज़र कर भी गुजरती नहीं है ज़र्रे ज़र्रे में ठहरकर सही वक़्त का इंतज़ार करती है और किसी भी रूप में अपना इंत

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आंच से गुज़र कर

9 अक्टूबर 2015
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कच्ची मिट्टी पानीमें घुलकरमटकी का जिस्मपाती  है पर आंच के घर से जब बाहर दुनिया में आतीहै फिर पानी घुलती नहींऔर आंच पर चड़ जातीहै तुम भी कच्ची मिट्टीकेसफ़र को जीवन में ढालोएक बार आग से गुज़रकरफिर आग पर काबू पालो. 

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सरहद

10 अक्टूबर 2015
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( दो देशो के मुखिया अपने घरो में सुरक्षित बैठ कर लड़ते है ......लेकिन  उनकी सजा बेगुनाओ को मिलती है  )सरहद के इस पारसरहद के उस पारपरसरहदों से दूरवो लड़ रहे है लड़ लड़ कर छुप रहे है छुप छुप कर लड़ रहे है  नहीं उन्हें मौत का खौफउनकी जगह कोई और मर रहे है वे बेख़ौफ़ घूम रहे है  सरहद के इधरसरहद के उधर  ( रहने व

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kaveeta

12 अक्टूबर 2015
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अब हमबदचलन हो गए ....टूट करप्यार करने कीख्वाईश मेंहम;दफन हो गएदेखो भाईअब हमबदचलन हो गए!पाकमोहब्बत मेंहम;कलम हो गएदेखो भाईअब हमबदचलन हो गए!फ़नाइश्क मेंहम;मदन हो गएदेखो भाईअब हमबदचलन हो गए!वफ़ाकी चाहत मेंहम;खतम हो गएदेखो भाईअब हमबदचलन हो गए !!

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अरे नौजवानों.......

13 अक्टूबर 2015
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तुम अपने जोश कोहोश में बदलो.........तुम अपने हौसले को बुलंदी में बदलो.......अरे कुछ न बदलो तो इतना तो बदलो......की जो भी बदलो ज़रा होश में बदलो ......

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बदले रास्ते

25 अक्टूबर 2015
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इंसान ने रास्ते बदल दिए सबके.....नदिया सागर से पता पूछती है.......ऋतुये सूर्य से तारीख पूछती है.......हवाए बादलो से डगर पूछती है .......मेघ धरती से निशां पूछते है ......इंसान ने रास्ते बदल दिए सबके......... 

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ईमानदार वोट

25 अक्टूबर 2015
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हम रोज़ कहते अहमद मियाँ मेरी अचकन है अच्छी सिलते .हम रोज़ कहते सुखविंदर दी बिरयानी है सबसे अच्छी....पीटर जानी की केक पेस्ट्री बशीर अहमद का हेयर स्टाइल रघुवीर यादव सा भला दूधवालारामखिलावन मेरा तरकारी वालासब ज़िन्दगी का हिस्सा बने हैपर जब वोट देते है तों सबभूलकर अपनी जाती को ही क्यों चुन लेते है ....???

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नारी को नारी के संग

26 अक्टूबर 2015
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न तलवार चलानी है न हथियार उठाने है नारी को नारी के संग बस चाल मिलानी हैन धरने करने है न अनशन करने है नारी को नारी के संग आवाज़ मिलानी हैवो सास जो लडती थी जो बहु जलाती थीनारी को नारी के संग वो सास हटानी हैकोमल नारी की कोमलता बचानी है नारी को नारी की बस पहचान दिलानी है

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बोलो क्या समझे ....

28 अक्टूबर 2015
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दलबदलूश्वेत श्वेत बोरी में बेपेंदी ले लोटे नाच रहे संसद में सिक्के खोटे. नेता / आई. ए .एस ज्ञानियों के ज्ञान को परख रहे अज्ञानी खन खन से खेल रहे अतृप्त खिलाडी . माया माया की साड़ी का आँचल बहुत फ़ैल गया जिसने भी पहना वो इसमें ही लिपट गया . मिस इंडिया वो थोड़े कपडों में गई मिस वर्ल्ड हो गई वो थोड़े कपड़ो म

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पक्षी और हम

29 अक्टूबर 2015
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नयन से नयन न मिलेपर अश्क साथ बह चलेजो देखा मृत पक्षी कोसारे  पक्षी उमड़ पड़ेक्योकि वो पक्षी है ..........और हम......नयन से नयन बहुत मिले पर अश्क साथ न बह चलेजो देखा मृत व्यक्ति को कितने  हाथ उमड़ पड़े(सारे पैसे निकल गए)क्योकि हम व्यक्ति है ........

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कांटे

31 अक्टूबर 2015
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मैंने अपने दामन मेंचंद कांटे भी सजाएहै जब भी कोई लगी फांसकांटो से ही निजातपाई है .

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गम

3 नवम्बर 2015
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गम तो सबके दिल में हैपर हँसते  लोग कुछ ही है  तुम भी दुखी और हम भी दुखी पर खुलकर रोते कुछ ही है  छुपाने से कुछ छुपता नहीं ये बात समझते कुछ ही है आंसू में भी स्वाद है एक ये बात परखते कुछ ही है  कांटो की चुभन तो सबने सही प्यार कांटो का समझते कुछ ही है ..........

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धुआं

4 नवम्बर 2015
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धुआं ही धुआं हैचारो तरफ आकाश साफ़ नहीं मिलता ...... कोयल गाती नहीं पेड़ो में बौर नहीं मिलता पथिक रुकते नहीं झरनों में जल नहीं मिलता ..... मृत्यु पर जाते नहीं लोग वह क्रदन नहीं मिलता आइना देखते नहीं लोग उसमे अक्स नहीं मिलता......  गीत ठहरते नहीं कोईउनमे सन्देश नहीं मिलता पैर छुते नहीं लोग आशीष में हम न

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अविरल

6 नवम्बर 2015
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आवाज़ उठाई है कोई सुर मिलाएगानाव छोड़ी है कोई पार लगाएगा......... घाव दिखाया है कोई मरहम लगायेगा बात इतनी सी है कोई आगे बढाएगा........ जनसँख्या बताई है कोई रोक लगाएगा निशाना बताएगा कोई तीर चलाएगा .... मुस्कान जगाई है ठहाका कोई लगाएगा सन्नाटा तोडा है शोर कोई मचाएगा............ चिंगारी दिखाई है शोला कोई

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नारी को नारी के संग

9 नवम्बर 2015
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न तलवार चलानी है न हथियार उठाने हैनारी को नारी के संग बस चाल मिलानी है  न धरने करने है न अनशन करने है नारी को नारी के संग आवाज़ मिलानी  है वो सास जो लडती थी जो बहु जलाती  थीनारी को नारी के संग वो सास हटानी  है कोमल नारी की कोमलता बचानी है नारी को नारी की बस पहचान दिलानी है      

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पति को अफसर ने थप्पड़ जड़ा, पागल बताने की कोशिश कीः CISF जवान की पत्नी

16 जनवरी 2017
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बीएसएफ के जवान तेज बहादुर का वीडियो वायरल होनें के बाद लगातार इस तरह की शिकायतें सामने आ रही हैं। इसी फेहरिस्त में मध्य प्रदेश के खरगौन के सीआईएसएफ के रीजनल ट्रेनिंग सेंटर में तैनात जवान अमरदीप का नाम भी जुड़ गया है। सीआईएसएफ जवान की पत्नी स्नेहलता यादव ने आरोप लगाया है कि जब उनके पति मुंबई एयरपोर्ट

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महबूब महबूब महब महबूबा

20 जून 2018
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