15 सितम्बर 2015
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लफ़्ज़ों और रंगो से अपने अहसासों को बिखेर देती हूँ . मैं अर्चना हर बूँद में अक्स अपना देख लेती हूँ ।D
पुष्पा जी बहुत बहुत आभार आपकी प्रतिक्रिया ही हमारे कलम की स्याही बनती है ।….padti रहिएगा मार्गदर्शन करती रहिएगा
2 अक्टूबर 2015
सन्नाटे में कहीं एक आवाज़ भी होती है जो दिल की आवाज़ है जो इंसान को सही रास्ता बताती है और इस बात का बहुत ही सुन्दर ढंग se आपने इस रचना में निरूपण किया है .. anekanek badhaiyan
1 अक्टूबर 2015
vertika ji aur om prakash ji bahut bahut sukrriya .........rachna ke paas 2 pal gujarne ke liye
15 सितम्बर 2015
वक़्त ज़िन्दगी में हर तरह का आएगा सन्नाटे भी है मेहमान कल खुशियों की गोद में डाल , सन्नाटे जायेंगे...........अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति !
15 सितम्बर 2015