इंसान ने रास्ते
बदल दिए सबके.....
नदिया सागर से
पता पूछती है.......
ऋतुये सूर्य से
तारीख पूछती है.......
हवाए बादलो से
डगर पूछती है .......
मेघ धरती से
निशां पूछते है ......
इंसान ने रास्ते
बदल दिए सबके
.........
25 अक्टूबर 2015
इंसान ने रास्ते
बदल दिए सबके.....
नदिया सागर से
पता पूछती है.......
ऋतुये सूर्य से
तारीख पूछती है.......
हवाए बादलो से
डगर पूछती है .......
मेघ धरती से
निशां पूछते है ......
इंसान ने रास्ते
बदल दिए सबके
.........
49 फ़ॉलोअर्स
लफ़्ज़ों और रंगो से अपने अहसासों को बिखेर देती हूँ . मैं अर्चना हर बूँद में अक्स अपना देख लेती हूँ ।D
विजय जी ।..dhanyawaad रचना को पड़ने और अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए
25 अक्टूबर 2015
सुक्र्रिया अवधेश जी हौसलाअफजाई के लिए
25 अक्टूबर 2015
इंसानी उपलब्धियों से संबंधित बहुत ही खूबसूरत रचना
25 अक्टूबर 2015
वाह बहुत खूब,हर लफ्ज तारीखी ,बधाई !
25 अक्टूबर 2015