तुम अपने जोश को
होश में बदलो.........
तुम अपने हौसले को
बुलंदी में बदलो.......
अरे कुछ न बदलो
तो इतना तो बदलो......
की जो भी बदलो
ज़रा होश में बदलो ......
13 अक्टूबर 2015
तुम अपने जोश को
होश में बदलो.........
तुम अपने हौसले को
बुलंदी में बदलो.......
अरे कुछ न बदलो
तो इतना तो बदलो......
की जो भी बदलो
ज़रा होश में बदलो ......
49 फ़ॉलोअर्स
लफ़्ज़ों और रंगो से अपने अहसासों को बिखेर देती हूँ . मैं अर्चना हर बूँद में अक्स अपना देख लेती हूँ ।D
विजय जी बहुत बहुत धन्यवाद ।…आप लोगो की प्रतिक्रिया से हमें भी लिखने की सार्थकता पता चलती है ।…भीड़ का जोश जब होश में नहीं होता तो कितना सर्वनाश कर देता है ।…।....
25 अक्टूबर 2015
अवधेश बहुत बहुत धन्यवाद रचना का साथ देने के लिए ।.............hum लोगो ओ पता ही कहा चलता है की कब कितना बदल जाते है .
25 अक्टूबर 2015
जोश से ज्यादा होश की ही जरुरत अधिक है बहुत ही सर्वोत्तम रचना
25 अक्टूबर 2015
अरे कुछ न बदलो तो इतना तो बदलो...... की जो भी बदलो ज़रा होश में बदलो ......वाह बहुत खूब
25 अक्टूबर 2015
ओम प्रकाश जी रचना को वक़्त देने और पसंद करने का सुक्र्रिया
14 अक्टूबर 2015
नव-परिवर्तन के लिए नौजवानों का आह्वान...अत्यंत सटीक-सार्थक एवं प्रभावपूर्ण रचना !
14 अक्टूबर 2015