24 सितम्बर 2015
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लफ़्ज़ों और रंगो से अपने अहसासों को बिखेर देती हूँ . मैं अर्चना हर बूँद में अक्स अपना देख लेती हूँ ।D
हां प्रियंका जी ,....सही कह रही है
24 सितम्बर 2015
जी हां , चाहे जितना दोस्त मानो , वही दोस्त आपकी खुशियों से मन ही मन जल्ते है ।.
24 सितम्बर 2015
धन्यवाद
24 सितम्बर 2015
बहुत खूब !
24 सितम्बर 2015