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बचपन भाग -२

17 सितम्बर 2015

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बचपन में हर बच्चा गीत खुशी के गाता है खेल कूद में भूला रहता और नहीं कुछ भाता है प्यारी बोली तोतली से सब का मन बहलाता है उछल कूद और गिरता उठता न हाथ किसी के आता है याद कर उस समय की हर कोई पछताता है की ये बचपन क्यों चार दिनों को आता है निकल गया जो समय जो कभी न बापस आता है याद आज भी आती है माँ के हांथो की थपकी कुछ देर में ही ही लग जाती थी मीठी झपकी माँ की ममता का आँचल करता था मेरी छाया अपना दूध पिलाकर के सीची थी माँ ने मेरी काया खेल-खेल में मैंने एक दिन दही की मटकी तोड़ी छोटी सी लकुटी लेकर माँ मेरे पीछे दौड़ी हाथ पकड़ कर माँ ने मुझको दो छड़ी थी मारी देख निशान पीठ पर मेरी रोने लगी बेचारी माँ का रोना सुनकर जब पापा अंदर आये देख निशान पीठ पर मेरी मुझको गले लगाये

अजय कुमार राजपूत की अन्य किताबें

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वो जो चले गए

3 जून 2015
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मैंने देखा जब उनको पहली बार ,दिल मेरा हो गया था गुले गुलजार , लगा था ऐसा जैसे बरसो से था उनका इंतजार और हो जन्मो जन्मो का वो प्यार, आई थी वो ऐसे जैसे कोई किरण ,मधुबन में झूमता सोने का वो हिरन ,देखने को उनकी एक झलक हो जाता था बेकरार खोलकर खिड़की देखता था बार- बार,

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पथ का राही

10 जून 2015
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चल अकेला राही जग में कौन तेरा कौन मेरा , ये दुनिया तो है यारो चार दिन का बसेरा , चल अकेला .............

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बचपन

12 जून 2015
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बचपन था प्यारा सा सपना,जब याद आज भी आज भी आता है . आँखों में आते है आँशु , दिल बच्चा बन जाता है . बचपन में जब मैं घुटनो के बल चलता था ,घर के बाहर था निकल जाता नहीं पता किसी को चलता था . बचपन में चलता था जब हाथ पकड़कर पापा का ,कह देता था उनसे कुछ भी तब ज्ञान नहीं था भाषा का . बचपन में की थी गलती

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सबसे बड़ा मूर्ख

17 जून 2015
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एक गांव में तीन मूर्ख रहते थे ,वे हमेशा साथ रहते थे , और कही भी जाते तो साथ-साथ जाते थे, एक दिन वे एक तालाब के किनारे पेड़ो की छाया में बैठे थे अचानक एक मूर्ख बोला अगर इस तालाब में आग लग जाये तो इसकी मछलिया कहाँ जाएँगी तभी झट से दूसरा बोला अरे इसमें भी कोई पूछने की बात है सारी मछलिया

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असली हीरो

19 जून 2015
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जागो -जागो रे मेरे देश के वीरों करो ऐसा काम देश का हो बड़ा नाम बन जाओ असली हीरो .जागो-जागो रे............................बता दो इनकी क्या है औकात गिनती हुई थी पूरी जब दिया था भारत ने जीरो जागो-जागो.................................खेलो खेल या इंटरनेट चलाओ राखो इसकी लाज न अपने देश को डुबाओ .मानो - मान

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प्यार का दर्द

23 जून 2015
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ये दुनिया बालों सम्हालो मुझे कही मर न जाऊ बचा लो मुझे टूटा हु गम से ,हारा सनम से मुड़कर वो देखे ,है अरज वेरहम से जान जाएगी मेरी ,गयी गर जो वो जाकर के तुम्ही मनालो उसे ये दुनिया बालों सम्हालो मुझे .. जो देखू न उसको वो सुबह मेरी काली

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सीखो सूरज से

27 जून 2015
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सीखो सूरज से तुम नित्य समय से आना रखना उजियाला कायम और साय: काल चले जाना इससे मिलती है सीख गर लक्ष्य् हमें है पाना टिकना है सूरज की भांति और कार्य समय से निपटना सीखो ...........................जो करना है काल वो कार्य आज ही हो जाये .जो कार्य समय से न करे वो मंजिल कभी न पाये ये बात समझ कर भी न समझ

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हिंदी

27 जून 2015
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हिंदी है हिंदोस्तान है ,हिन्दी से सारा जहान है हिंदी हमारी जान है कोई भी शब्द लिखो तुम हिंदी के बिना अधूरा है हिंदी में जो लिख दोगे तो रिक्त स्थान भी पूरा है हिंदी हमारा नारा हैहिंदी से कोई न प्यारा कोई बात समझ न आये कहते है हिंदी में बोलो हिंदी में ही तुम बोलो जब भी अपना मुख खोलो

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मानो की मुलाकात हुई है

14 जुलाई 2015
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कितने दिनों से बात हुई है मानो की मुलाकात हुई है डोल रहा है चंचल मन झूम उठा है सारा तन आँखों में पानी है आया .जैसे बिन मौसम बरसात हुई है .कितने दिनों से बात हुई है .....हिर्दय धड़क रहा है धक -धक .सांसे मचल रही है पल -पल ​ऐसा लगता है आज मुझको जैसे खुशियो की बरसात हुई है कितने दिनों से ..........

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नारी

14 जुलाई 2015
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मत भूलो तुम नारी को नारी से दुनिया सारी है नारी है जननी जग की नारी ही बहिना प्यारी है भूलो तुम........ नारी गर चाहे तो भिच्छुक को राजा करती नारी गर चाहे तो राजा को भिच्छुक करती नारी है ममता की मूरत नारी है दुर्गा की सूरत मत भूलो .....

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नारी भाग-२

17 सितम्बर 2015
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नारी जगत की जननी है नारी सुख -दुख की हरणी है नारी ही नर तरणि है नारी एक अदभुद करनी है नारी ही तो धरणी हैनारी ही परम पुनीता है नारी ही माता सीता हैनारी तो एक तपस्या है पहली नारी तो हब्या है नारी ही जग कल्याणी है नारी ही सबकी बानी है नारी हर युग की शक्ति है नारी के नाम ही भक्ति हैनारी से एक पहचान ह

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बचपन भाग -२

17 सितम्बर 2015
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बचपन में हर बच्चा गीत खुशी के गाता है खेल कूद में भूला रहता और नहीं कुछ भाता है प्यारी बोली तोतली से सब का मन बहलाता हैउछल कूद और गिरता उठता न हाथ किसी के आता है याद कर उस समय की हर कोई पछताता है की ये बचपन क्यों चार दिनों को आता हैनिकल गया जो समय जो कभी न बापस आता है याद आज भी आती है माँ के हांथो

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