चल अकेला राही जग में कौन तेरा कौन मेरा , ये दुनिया तो है यारो चार दिन का बसेरा , चल अकेला ............. है लगन जो जीतने की तो हार की औकात क्या , ऐसी लगन से चलता रहा तो देखेगा जीतो का सवेरा , चल अकेला राही ............. भूलना ना मंजिल को राही राह में आएगा लालच का अँधेरा फस गया तो राख मेहनत चला गया तो मंजिलो पे परचम तुही फहराएगा . चल अकेला रही जग में कौन तेरा कौन मेरा .