अच्छा जी मजाक नहीं मैं सीरियस हूंराघव बाबा हम कब मजाक कर रहे हैं, जब एक बार ये ज़िंदगी आपके हाथों में सौंप दी तो मौत से क्या डरनाजिंदगी आपकी है अब आप इसको जिए या फिर सांसे छीन लें इसमें मेरा बस क
तो हाजिर हूँ नई कहानी के साथ उमीद है आपका साथ ऐसे ही बना रहेगा,
“मुक्तक” बदला हुआ मौसम बहक बरसात हो जाए। उड़ता हुआ बादल ठहर कुछ बात हो जाए। क्यों जा रहे चंदा गगन पर किस लिए बोलो- कर दो खबर सबको पहर दिन रात हो जाए॥-१ अच्छी नहीं दूरी डगर यदि प्रात हो जाए। नैना लगाए बिन गर मुलाक़ात हो जाए। ले हवा चिलमन उडी कुछ तो शरम करो-सूखी जमी बौंछार