आज सुबह -२ एक बार फिर मनुष्य समुदाय का होने पर शर्म आयी।सुबह करीब ७:३० बजे अचानक किसी जानवर की कर्कश चीखें सुनाई दी बहार जाकर देखा तो कुछ (७-८ ) मनुष्य एक जानवर के साथ अपने मनुष्य होने का प्रमाण दे रहे थे. वह एक सूअर था("था " शब्द इसलिए क्योंकि जब ये पोस्ट टाइप
पुलिस की लाठी की ताकत गरीब के शरीर पर ही दिखती है. उतनी अगर चोर-बदमाशों को ताकत दिखाते तो फिर लोग यह नहीं कहते है कि दरोगा साहेब, गांव में दरोगा और शहर में मोर बने फिरते है. आप सोंच रहे हो कि मैं भागलपुर वाले बर्बरता को देखकर बोल रहा हूं, तो फिर आप ही बताओ क्या इससे पहले गरीब लोगों की पुलिस वाले धुन