बह्र - २१२२ २१२२ २१२२ २,कफिया- आते, रदीफ-क्यों...."गजल"चाह गर मन की न होती तो बताते क्योंआह गर निकली न होती तो सुनाते क्योंआप भी तकने लगे अनजान बीमारीबे-वजह की यह जलन तपते तपाते क्यों।।खुद अभी हम तक न पाए भाप का उठनाकब जला देगी हवा किससे छुपाते क्यों।।शोर इतना तेज था विधन