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बेरंग ना हों ख्वाब किसीके

19 सितम्बर 2021

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मेरी तो बस चाहत ये है
मेरे अपने मेरे संग हो
मेरे सारे सपने टूटे
उनके सपनों में हर रंग हो
खुद की खातिर क्या मैं सोचूं
मेरी खातिर सोचे कौन
सबकी अपनी चाहत है और
सबके अपने सपने हैं
सबके सपने पूरे हो और
सब की चाहत पूरी हो
मेरी तो बस कोशिश इतनी
बेरंग ना हो ख्वाब किसी के
मेरा क्या है मैं जी लूंगा
अपने अश्कों को पी लूंगा
अब तक जैसे जीता आया
आगे भी मैं यूं जी लूंगा
होठों को अपने सी लूंगा
बहते अश्कों को पी लूंगा
अपने दिल की कब मैं करता
मेरा दिल ना अब कुछ कहता.......
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रचनाएँ
दिल से निकले शब्द
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इस किताब में जो भी कविताएं संकलित है सभी मेरे अंतर्मन से निकले विचार हैं जो विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष की देन है, इस पुस्तक को आप सभी पाठकों से स्नेह मिलेगा यही मेरी कामना है धन्यवाद 🙏
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ठौर ठिकाना ख्वाबों का

19 सितम्बर 2021
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बेरंग ना हों ख्वाब किसीके

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अजनबी राह और टूटे ख्वाब

19 सितम्बर 2021
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पुराने गम और जख्म

20 सितम्बर 2021
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एक पुराने गम ने पूछा<div>क्या तुम अभी वही रहते हो</div><div>हमने कहा चले मत आना</div><div>अब हम वहां

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दुष्कर पथ

22 सितम्बर 2021
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अजनबी राह और टूटे ख्वाब

24 सितम्बर 2021
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जिन्दगी से हमें कोई गिला नहीं<div>जो समझे हमें वो मिला ही नहीं</div><div>यूं ही अजनबी राहों पे चलते

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जीवन के अजनबी डगर पे

27 सितम्बर 2021
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मेरी तकदीर और मैं

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जिन्दगी आज फिर खफा खफा सी है<div>रास्ते मंजिलों की जुदा जुदा सी है</div><div>वक्त का ये कैसा फलसफा ह

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वक्त की बाजीगरी

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वक्त बड़ा ही बाजीगर है<div>खेल है इसके निराले</div><div>दो ही पहलू है इसके</div><div>बस तूं इसको पहच

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ब्यग्रता मन की

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<div><span style="font-size: 16px;">अब फ़र्क नहीं पड़ता के हार हो या जीत हो</span></div><div><span s

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शब्दों के तीर

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गिर गया जो आँसू आँखों से<div>बह गया पीर बनके जो निर</div><div>हो गया बोझ हल्का दिल का</div><div>रह ग

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जीवन एक पहेली

11 अक्टूबर 2021
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ये खेल अजीब दिखाता है<div>इसे समझ कोई नहीं पाता है,</div><div>बचपन में इसने दिया लालच</div><div>हो ज

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न गिरना अपनी नज़र में

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गिरने दो मुझे जो मैं गीरता हूं<div>गीर गीर के संभलना सीखूंगा</div><div>चलना जो मुझे नहीं आता है</div

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