मेरे अपने मेरे संग हो
मेरे सारे सपने टूटे
उनके सपनों में हर रंग हो
खुद की खातिर क्या मैं सोचूं
मेरी खातिर सोचे कौन
सबकी अपनी चाहत है और
सबके अपने सपने हैं
सबके सपने पूरे हो और
सब की चाहत पूरी हो
मेरी तो बस कोशिश इतनी
बेरंग ना हो ख्वाब किसी के
मेरा क्या है मैं जी लूंगा
अपने अश्कों को पी लूंगा
अब तक जैसे जीता आया
आगे भी मैं यूं जी लूंगा
होठों को अपने सी लूंगा
बहते अश्कों को पी लूंगा
अपने दिल की कब मैं करता