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जीवन एक पहेली

11 अक्टूबर 2021

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ये खेल अजीब दिखाता है
इसे समझ कोई नहीं पाता है,
बचपन में इसने दिया लालच
हो जाओ जवां गर जल्दी तुम
खुशियां ढेरों तुम पाओगे,
पर आज जो हम हो गये जवां
दौलत का लालच दिखलाता है,
कहता है गर धनवान हुये
हर खुशियां होंगी दामन में,
है खेल गजब इस जीवन का
ये रोज हमें बहकाता है,
इसके बहकावे में आकर
हर कदम पे धोखा खाता है,
इंसान की फितरत है ऐसी
ये अक्सर बहक ही जाता है,
सब कुछ पाने की चाहत में
जो पाया उसे भी गवाता है,
जीवन में आगे चलकर फिर
एक ऐसा वक्त भी आता है,
क्या खोया और क्या पाया है
जब इसका हिसाब लगाता है,
तब बैठके तन्हा वो इंसान
बस केवल अश्रू बहाता है,
जीवन एक पहेली है
इसे कोई समझ नहीं पाता है।
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रचनाएँ
दिल से निकले शब्द
0.0
इस किताब में जो भी कविताएं संकलित है सभी मेरे अंतर्मन से निकले विचार हैं जो विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष की देन है, इस पुस्तक को आप सभी पाठकों से स्नेह मिलेगा यही मेरी कामना है धन्यवाद 🙏
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