11 अक्टूबर 2021
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<span style="color: rgb(55, 71, 79); font-family: Roboto, sans-serif; font-size: medium; letter-spac
एक पुराने गम ने पूछा<div>क्या तुम अभी वही रहते हो</div><div>हमने कहा चले मत आना</div><div>अब हम वहां
जिन्दगी से हमें कोई गिला नहीं<div>जो समझे हमें वो मिला ही नहीं</div><div>यूं ही अजनबी राहों पे चलते
जिन्दगी आज फिर खफा खफा सी है<div>रास्ते मंजिलों की जुदा जुदा सी है</div><div>वक्त का ये कैसा फलसफा ह
वक्त बड़ा ही बाजीगर है<div>खेल है इसके निराले</div><div>दो ही पहलू है इसके</div><div>बस तूं इसको पहच
<div><span style="font-size: 16px;">अब फ़र्क नहीं पड़ता के हार हो या जीत हो</span></div><div><span s
गिर गया जो आँसू आँखों से<div>बह गया पीर बनके जो निर</div><div>हो गया बोझ हल्का दिल का</div><div>रह ग
ये खेल अजीब दिखाता है<div>इसे समझ कोई नहीं पाता है,</div><div>बचपन में इसने दिया लालच</div><div>हो ज
गिरने दो मुझे जो मैं गीरता हूं<div>गीर गीर के संभलना सीखूंगा</div><div>चलना जो मुझे नहीं आता है</div