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दुष्कर पथ

22 सितम्बर 2021

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जीवन के इस दुष्कर पथ पर
कुछ खट्टे कुछ मिठे अनुभव
जिनसे सबक सिख इस पथ पर
गिरा कभी फिर बढ़ा सम्भल कर
कभी कहीं रेतीला पथ था
और कहीं बस कंकड़ पत्थर
खा खाकर ठोकर उस पथ पर
आगे सदा बढ़ा जो हर पल
भूलके अपने पांव के छाले
और भूलकर लगा जो ठोकर
जो होते है सफल यहां पर
पूछ उन्ही की होती हर पल
कितने चोट हैं खाये तुमने
और लगे है कितने ठोकर
इसका ना एहसास किसीको
दर्द सहा है कितना गहरा
इसका ना अंदाज किसीको
वक्त का मरहम जख्म को भर दे
पर अतीत का घाव है गहरा
जख्म हरा हो जाता है जब
याद करे उस वक्त का पहरा......
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रचनाएँ
दिल से निकले शब्द
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इस किताब में जो भी कविताएं संकलित है सभी मेरे अंतर्मन से निकले विचार हैं जो विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष की देन है, इस पुस्तक को आप सभी पाठकों से स्नेह मिलेगा यही मेरी कामना है धन्यवाद 🙏
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ठौर ठिकाना ख्वाबों का

19 सितम्बर 2021
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