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ठौर ठिकाना ख्वाबों का

19 सितम्बर 2021

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हैं सपने मेरे ये कैसे
जिनका कोई छोर नहीं
ख्वाब हैं सारे बिखरे बिखरे
नया ख्वाब अब और नहीं
खुश हूं अब मैं सबकी खुशी में
अपनी खुशी कोई और नहीं
ऐसा सपना देखें हीं क्यूं
जिसका कोई ठौर नहीं
चंचल मन को बांधे रखना
अब ना करे ये शोर कहीं
मन की भटकन बंद करो
अब ये तड़पन और नहीं
ये सपना कैसा है अपना
जिसका कोई ठौर नहीं...........

19 सितम्बर 2021

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रचनाएँ
दिल से निकले शब्द
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इस किताब में जो भी कविताएं संकलित है सभी मेरे अंतर्मन से निकले विचार हैं जो विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष की देन है, इस पुस्तक को आप सभी पाठकों से स्नेह मिलेगा यही मेरी कामना है धन्यवाद 🙏
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ठौर ठिकाना ख्वाबों का

19 सितम्बर 2021
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