जिनका कोई छोर नहीं
ख्वाब हैं सारे बिखरे बिखरे
नया ख्वाब अब और नहीं
खुश हूं अब मैं सबकी खुशी में
अपनी खुशी कोई और नहीं
ऐसा सपना देखें हीं क्यूं
जिसका कोई ठौर नहीं
चंचल मन को बांधे रखना
अब ना करे ये शोर कहीं
मन की भटकन बंद करो
अब ये तड़पन और नहीं
ये सपना कैसा है अपना