shabd-logo

ब्यग्रता मन की

6 अक्टूबर 2021

20 बार देखा गया 20
अब फ़र्क नहीं पड़ता के हार हो या जीत हो
सब ठहर गया है जैसे के रास्ते हो या मंजील हो 
अब ब्यग्रता नहीं है मन के भीतर भी और बाहर भी
था कभी मन उदास थी जीवन में भागम भाग
अब और नहीं ऐ जिन्दगी ठहर जा
तेरे सबक सीखते सीखते थक सा गया हूं मैं
अब तो बस चाहत है असीम शांति की
जिससे जीवन में बस सुकुन मिले उसी क्रांति की
सबकुछ पाने की चाहत में बहुत कुछ खो दिया हमने
थी चाहत सपने सजाने की हर हाल में उसको पाने की
कहां तक करें हिसाब के क्या खोया क्या पाया
अब तंग आ चुके हैं इस खोने और पाने की जद्दोजहद से
समंदर की लहरों का शोर थम गया है जैसे दरीया में समाकर
अब अपनी भी यही चाहत है की हर शोर थम जाये
ये विचलित और उद्वेलित मन कहीं रम जाये.......

13
रचनाएँ
दिल से निकले शब्द
0.0
इस किताब में जो भी कविताएं संकलित है सभी मेरे अंतर्मन से निकले विचार हैं जो विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष की देन है, इस पुस्तक को आप सभी पाठकों से स्नेह मिलेगा यही मेरी कामना है धन्यवाद 🙏
1

ठौर ठिकाना ख्वाबों का

19 सितम्बर 2021
1
4
1

<span style="color: rgb(55, 71, 79); font-family: Roboto, sans-serif; font-size: medium; letter-spac

2

बेरंग ना हों ख्वाब किसीके

19 सितम्बर 2021
0
3
0

<span style="color: rgb(55, 71, 79); font-family: Roboto, sans-serif; font-size: medium; letter-spac

3

अजनबी राह और टूटे ख्वाब

19 सितम्बर 2021
3
4
0

<span style="color: rgb(55, 71, 79); font-family: Roboto, sans-serif; font-size: medium; letter-spac

4

पुराने गम और जख्म

20 सितम्बर 2021
2
1
0

एक पुराने गम ने पूछा<div>क्या तुम अभी वही रहते हो</div><div>हमने कहा चले मत आना</div><div>अब हम वहां

5

दुष्कर पथ

22 सितम्बर 2021
2
4
0

<span style="color: rgb(55, 71, 79); font-family: Roboto, sans-serif; font-size: medium; letter-spac

6

अजनबी राह और टूटे ख्वाब

24 सितम्बर 2021
0
0
0

जिन्दगी से हमें कोई गिला नहीं<div>जो समझे हमें वो मिला ही नहीं</div><div>यूं ही अजनबी राहों पे चलते

7

जीवन के अजनबी डगर पे

27 सितम्बर 2021
0
1
0

<span style="color: rgb(55, 71, 79); font-family: Roboto, sans-serif; font-size: medium; letter-spac

8

मेरी तकदीर और मैं

2 अक्टूबर 2021
0
1
0

जिन्दगी आज फिर खफा खफा सी है<div>रास्ते मंजिलों की जुदा जुदा सी है</div><div>वक्त का ये कैसा फलसफा ह

9

वक्त की बाजीगरी

4 अक्टूबर 2021
0
2
0

वक्त बड़ा ही बाजीगर है<div>खेल है इसके निराले</div><div>दो ही पहलू है इसके</div><div>बस तूं इसको पहच

10

ब्यग्रता मन की

6 अक्टूबर 2021
0
2
0

<div><span style="font-size: 16px;">अब फ़र्क नहीं पड़ता के हार हो या जीत हो</span></div><div><span s

11

शब्दों के तीर

11 अक्टूबर 2021
1
1
1

गिर गया जो आँसू आँखों से<div>बह गया पीर बनके जो निर</div><div>हो गया बोझ हल्का दिल का</div><div>रह ग

12

जीवन एक पहेली

11 अक्टूबर 2021
1
0
0

ये खेल अजीब दिखाता है<div>इसे समझ कोई नहीं पाता है,</div><div>बचपन में इसने दिया लालच</div><div>हो ज

13

न गिरना अपनी नज़र में

22 अक्टूबर 2021
1
1
0

गिरने दो मुझे जो मैं गीरता हूं<div>गीर गीर के संभलना सीखूंगा</div><div>चलना जो मुझे नहीं आता है</div

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए