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शब्दों के तीर

11 अक्टूबर 2021

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गिर गया जो आँसू आँखों से
बह गया पीर बनके जो निर
हो गया बोझ हल्का दिल का
रह गया न दिल में कोई पीर
रह गये जो आँसू आँखो में
चुभ गया जैसे दिल में कोई तीर
कैसे कोई बरदाश्त करे
जब दिल पे लगे शब्दों का तीर
गैरों की कोई बात नहीं
अपनों के शब्द दें ज्यादा पीर
जब जब लगे दिल पर ऐसा चोट
झर झर गीरता आँखो से नीर..........article-image
Reena Singh

Reena Singh

सुंदर रचना

11 अक्टूबर 2021

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रचनाएँ
दिल से निकले शब्द
0.0
इस किताब में जो भी कविताएं संकलित है सभी मेरे अंतर्मन से निकले विचार हैं जो विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष की देन है, इस पुस्तक को आप सभी पाठकों से स्नेह मिलेगा यही मेरी कामना है धन्यवाद 🙏
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