थानेदार विनय रवीश से पूछताछ करता है कि वह और आशना कब से "रिलेशनशिप" में थे और अब वह आशना से अलग क्यों हो गया ? रवीश बताता है कि जब आशना कक्षा 10 में थी तब वह कक्षा 12 में था । स्कूल में ही मुलाकात हुई जो प्यार में बदल गई । अब वह कॉलेज में है और अपना कैरियर बनाना चाहता है इसलिए वह आशना से अलग हो गया है ।
थानेदार विनय को उसकी बात सही नहीं लगी मगर वह चुप ही रहा । इतने में उसकी निगाह कमरे की आलमारी में रखे एक डिब्बे पर गई । वह शायद मिठाई का डिब्बा था । उसे वह डिब्बा कुछ खास लगा था । उसने याद करने की कोशिश की मगर कुछ याद नहीं आया उसे । इतने में चाय नाश्ता आ गया । रवीश ने आग्रह करते हुए कहा "सर, यह लीजिए, यह संगम बर्फी है । यह केवल "संगम स्वीट्स " पर ही मिलती है । कई सारे ड्राई फ्रूट्स से बनती है यह बर्फी । बहुत प्रसिद्ध है यहां पर । इसे टेस्ट करके बताइए सर, कैसी है" ?
विनय ने एक पीस उठाया और मुंह में रख लिया । वाकई बहुत टेस्टी थी वह संगम बर्फी । उसने वह डिब्बा भी मंगवाया । उस पर संगम स्वीट्स लिखा था । विनय को
वह डिब्बा बार बार आकर्षित कर रहा था मगर क्यों ? यह पता नहीं चल रहा था ।
विनय वापस थाने आ गया । वह डिब्बा अभी भी उसके दिमाग में घुसा हुआ था मगर कोई क्लू नहीं मिल रहा था । उसने पिछले दो महीने के सारे केसों की फाइल मंगवाई । सबको भली-भति देखा मगर डिब्बे की पहेली अबूझ ही रही । वह निराश हो गया ।
उधर अविका और उसकी बुआजी वगैरह सब लोग दुखी थे कि आखिर किसने मारा था पुष्पा देवी को और क्यों ? ना तो उनकी किसी से कोई रंजिश थी और ना ही कोई चोरी, डकैती, लूटपाट का मामला था । फिर मर्डर क्यों हुआ पुष्पा देवी का ? क्या कोई प्रेम प्रसंग का मामला था ? इस एंगल पर पुलिस ने पहले ध्यान नहीं दिया था । अब इस संबंध में अविका और बुआजी से पूछताछ की तो उन दोनों ने अनभिज्ञता जाहिर कर दी । अविका तो बरस ही पड़ी थी पुलिस पर कि बेवजह ही पुलिस उसकी मां का चरित्र हनन कर रही है । पुलिस तो इस प्रकार के वाकयों से रोज रोज ही निपटती थी इसलिए उसने अविका की बात का बुरा नहीं माना ।
छः महीने के बाद भी पुलिस खाली हाथ थी । थानेदार विनय ने एक दिन आशना को अपनी शिकायत के बारे में पुलिस थाने में बुलवाया और उसकी शिकायत के बारे में पूछताछ की । विनय ने जब उससे कहा कि वह और रवीश पहले प्रेम करते थे ? इस सवाल पर आशना चुप रह गई । अब विनय ने जोर देकर पूछा कि क्या वह और रवीश प्रेम करते थे ? इस पर आशना अपना आपा खो बैठी और फूट फूट कर रोने लगी । विनय ने उसकी दुखती रग पर हाथ रख दिया था ।
वह कहने लगी "पहले रवीश उससे बहुत प्यार करता था । उसके बिना उसका कहीं भी मन नहीं लगता था । लेकिन जबसे उसकी जिंदगी में वह चुडैल आई है तबसे ही वह एकदम बदल गया है । अब मेरी तरफ ध्यान तक नहीं देता है" । सुबकते हुए आशना बोली ।
"कौन आई है उसकी जिंदगी में जिसने आपकी जिंदगी बरबाद कर दी है" ? विनय ने सहानुभूति जताते हुए पूछा ।
थोड़ी देर खामोश रहने के बाद आशना बोली "अविका । उसी ने सब कुछ छीन लिया है मेरा । अब रवीश उसी से प्यार करता है" ।
इस बात को सुनकर विनय का माथा ठनका । अविका का रवीश के साथ संबंध ? क्या इस प्रेम कहानी ने कोई गुल खिलाया है ? क्या इस प्रेम कहानी का संबंध पुष्पा देवी की हत्या से है ? विनय ने कड़ियां जोड़ने की कोशिश की । उसने आशना से विस्तार से उसके , अविका के और रवीश के प्रेम सम्बंधों के बारे में जानकरी करने की कोशिश की मगर उसे कुछ ज्यादा मसाला नहीं मिल पाया ।
अचानक विनय को ध्यान आया कि रवीश के घर पर उसने एक मिठाई का डिब्बा देखा था । उसने जब दिमाग पर जोर दिया तो उसे याद आया कि जिस दिन पुष्पा देवी की हत्या हुई थी उस दिन उसका जन्मदिन बताया था और हत्यारे कुछ मिठाई, केक वगैरह लेकर आये थे । इतना याद आते ही विनय,ने पुष्पा देवी की फाइल निकाली । उसमें एक सीडी अटैच थी जो मौका ए वारदात को बयां कर रही थी । उसने वह सीडी चला दी । मालूम हुआ कि पुष्पा देवी की बॉडी के पास ही एक मिठाई का डिब्बा पड़ा हुआ था । उसने जूम करके देखा तो पता चला कि वह डिब्बा भी "संगम स्वीट्स" का ही था ।
विनय को याद आया कि रवीश के घर पर भी ऐसा ही डिब्बा था और यहां पर भी वही डिब्बा ? क्या इन दोनों में कोई कनेक्शन है ? विनय के दिमाग में तेजी से कड़ियां जुड़ने लगीं । आशना ने बताया था कि रवीश और अविका प्रेम करते हैं । तो क्या पुष्पा देवी के कत्ल में रवीश और अविका का कोई हाथ है ? अब तो रवीश से पूछताछ करनी जरूरी हो गई थी । विनय रवीश को थाने ले आया और फिर उसकी "खातिरदारी" का सिलसिला शुरू हो गया । बिना कुछ कहे और बिना कुछ पूछे । इतनी खातिर की गई कि रवीश ने खुद ही कह दिया
"मुझे मार क्यों रहे हो ? जब मैं बिना मार खाए बताने को तैयार हूं तो फिर क्यों मारना" ?
"तो बता कि तूने पुष्पा देवी का कत्ल क्यों किया" ?
थोड़ी देर की खामोशी के बाद रवीश बोला "मैंने नहीं किया"
"फिर किसने किया"
"मुझे नहीं पता । सुनील को पता होगा"
"कौन सुनील" ?
"मेरा दोस्त । उसने सुपारी देकर करवाया है वो कत्ल" ।
विनय सकते में आ गया । इस कत्ल की कड़ियां कहां कहां जुड़ रही हैं ? अभी तो और कौन कौन जुड़ेगा, पता नहीं" ?
विनय ने दबिश देकर सुनील को पकड़ा और उससे कड़ी पूछताछ की गई । सुनील एक आदतन अपराधी था, आसानी से कहां मानने वाला था। उसकी खास "खातिरदारी" की गई तब उसने मुंह खोला और बताया कि दो शार्प शूटर फरहान और अब्बास की मदद से यह कत्ल करवाया गया । इस कत्ल के लिए एक लाख रुपए दिये गए थे दोनों को । जब सुनील से पूछा गया कि कत्ल क्यों करवाया तो उसने कहा कि इस बारे में रवीश से पूछो । जब रवीश से पूछा गया तो उसने कहा "पहले अविका को बुलवाओ, फिर बताऊंगा" ।
थानेदार विनय ने अविका को थाने पर बुलवाया और रवीश, सुनील तथा दोनों शार्प शूटरों के सामने उससे पूछताछ की गई ।
अविका ने जो बताया वह बहुत ही चौंकाने वाला था । वह बताने लगी "उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के बासनी गांव में हमारा पुश्तैनी मकान और 50 बीघा जमीन थी । उसकी देखभाल करने के लिए हमने दो नौकर लगा रखे थे । ताऊजी दुबई जाकर बस गये और चाचाजी कोरिया में । गांव में पापा अकेले रह गए थे । बाद में चाचा ने उन्हें भी कोरिया बुलवा लिया था । घर में हम तीनों बहनें और मम्मी ही रह गई थीं । मम्मी के संबंध दोनों नौकरों से कब बन गये पता नहीं । मगर एक बार जब पापा गांव आये तो उन्होंने मम्मी को एक नौकर के साथ आपत्तिजनक अवस्था में देख लिया था । उस दिन पापा बहुत गुस्से में थे और मम्मी को घर से बाहर निकालने पर आमादा थे । मम्मी पापा के पैरों में गिरकर क्षमा मांग रही थी । फिर पापा ने उन्हें घर से नहीं निकाला लेकिन दोनों नौकरों को निकाल दिया था ।
बाद में संपत्ति का बंटवारा हुआ और जमीन हमारे हिस्से में आई जिसे बेचकर यहां दिल्ली में ये मकान खरीद लिया और पापा ने हमको यहां पर शिफ्ट कर दिया । उन्होने अपना एक करोड़ का बीमा भी करवा लिया था । बदकिस्मती से उनका स्वर्गवास हो गया । बीमा के पैसों की एफ डी करवा दी और ब्याज से ही घर का खर्च चलने लगा ।
मम्मा को अब रोकने टोकने वाला कोई नहीं था इसलिए उन्होंने जवां मर्दों से संबंध बना लिए थे । लोग तरह तरह की बातें करते थे पर मैं नहीं मानता थी ।
एक दिन रवीश ने एक मूवी देखने का प्लान बनाया और मुझे स्कूल से ही ले गया । उस दिन वहां कोई दंगा भड़क गया था इसलिए कर्फ्यू लग गया । मुझे मजबूरन घर आना पड़ा । घर आकर मैंने जो देखा तो मुझे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ । मम्मी ने भी मुझे देख लिया था । वह अपने कपड़े पहनने लगी । एक अजनबी आदमी था वह मुझे देखकर भाग गया था । मैं गुस्से और क्षोभ के कारण वहीं बैठकर रोने लगी । तब मम्मी ने हाथ जोड़कर कहा "मुझे माफ करना बेटी । पर मैं क्या करूं ? मेरी भी तो कुछ जरूरतें हैं, उनका क्या" ?
तब मैंने कहा था "तो आप शादी क्यों नहीं कर लेतीं" ?
"अब कौन करेगा मुझसे शादी ? और तुम बच्चे लोगों से बिछुड़ना भी नहीं चाहती हूं मैं । कोई भी आदमी तीन तीन बेटियों के साथ मुझे क्यों अपनायेगा" ?
"तो क्या आप जिन्दगी भर ये घिनौना खेल खेलती रहेंगी" ?
वो कुछ नहीं बोली । न हां कहा और न ना कहा । तब मुझे और भी ज्यादा दुख हुआ । मम्मी अपनी शारीरिक जरूरतों से ऊपर उठने को तैयार नहीं थी , यह सबसे अधिक चिंता की बात थी ।
दूसरे दिन मैं स्कूल आई तो मेरा चेहरा उतरा हुआ था । रवीश मेरे चेहरे को देखकर बड़ा अपसेट था । जब मुझसे पूछा तो मैंने सब कुछ सच सच बता दिया और साथ में यह भी कह दिया कि मुझे शनाया और छुटकी की बहुत चिंता हो रही है । मम्मी की हरकतों का क्या प्रभाव पड़ेगा उन दोनों पर ? और कल को ये आदमी मुझ पर या शनाया पर गलत निगाह डाले तो मम्मी उसे मना भी नहीं कर पायेंगी । इसलिए मैंने रवीश से कुछ करने के लिए कह दिया । पर मेरे कहने का अर्थ यह कदापि नहीं था कि उनका कत्ल कर दिया जाये । जब मम्मी का मर्डर हुआ तो हकीकत पता चली थी । लेकिन अब क्या हो सकता था ?
मामला अभी कोर्ट में ही चल रहा है और सारे आरोपी अभी जेल में ही हैं ।
समाप्त
हरिशंकर गोयल "हरि"
16.5 22