चिंकी और किष्ना..... जुड़वां भाई बहन..
उम्र महज़ छह साल...।
अपनी कला और हुनर से हजारों लोगों का रोज मनोरंजन करते हैं..।
क्या था वो हुनर... कैसे करते थे मनोरंजन..!!
चिंकी घर पहुँच कर... कमरे के कोने में मुंह चढ़ाकर बैठ गई।
भावना:- अब ऐसे मुंह चढ़ाकर क्या बैठ गई हैं... चल जल्दी से बाल बना ले... गाड़ी का समय हो गया हैं..। किष्ना खबरदार जो तुने भी काम के समय चिंकी को परेशान किया..।
किष्ना:- मैं कुछ नहीं करता माँ.... वो ही मुझसे लड़ती रहतीं हैं....।
चिंकी बिना कुछ बोले उठी और अपने बाल बनाने लगी..।
दो मिनट बाद...अभी चलेगा... या ऐसे ही माँ से मेरी चुगली करता रहेगा..।
किष्ना ने कमरे के कोने में रखा एक मैला सा थैला लिया और उसे अपने कंधे पर लटका कर भावना के पास आया..। माँ रोटी...!
भावना ने अखबार में लपेटी हुई कुछ रोटी उसकों दी और कहा:- दोनों साथ में खाना और समय पर घर आ जाना....।
किष्ना ने पैकेट अपने थैले में डाला और बाहर खड़ी चिंकी को बोला:- चल छिपकली...।
चिंकी:- मैं छिपकली तो तु बंदर..।
ऐसा कहते... जुबानी नोक झोंक करते करते वो घर से कुछ ही मीटर की दूरी पर रेल की पटरियों पर चलने लगे..।
कुछ मिनटों बाद ही पास में बनीं दूसरी पटरी पर एक रेल आकर रुकी..।
वो दोनों तुरंत उसमें चढ़ गए..... क्योंकि रेल वहाँ कुछ पल के लिए ही रुकीं थी..।
अंदर चढ़ते ही किष्ना ने अपने थैले में से एक लोहे की बनी रिंग निकाली.... और अपने करतब दिखाने शुरू किए..।
पहले उसने वो रिंग अपने हाथ पर घुमाई... फिर अपने पैरों पर.... फिर अपनी कमर पर..। जब वो ऐसा कर रहा था तब चिंकी दो पत्थरों को आपस में रगड़ कर मधुर आवाज के साथ गाना गा रहीं थी.. । फिर चिंकी ने थैले में से एक और रिंग निकाली.. पर वो इतनी छोटी थी की उसमें से एक शख्स भी ना निकल पाए..।
पर असली हुनर तो अब था...। चिंकी ने वो रिंग अपनी गर्दन से करते हुए नीचे पैरों से निकाल ली...। इसके बाद वो रेल के फर्श पर लेटकर रिंग को अपने पेट तक लेकर आई... उसी वक्त किष्ना भी उसी रिंग में घुस गया.... और ना जाने कैसे पर दोनों सही सलामत....उस रिंग से बाहर आ गए..। उस रिंग से एक बच्चा भी नहीं निकल सकता था.... पर वो दोनों ना जाने कैसे एक साथ निकले..। रेल मे सवारी कर रहे सभी लोग ये देखकर हैरान थें...। फिर उन दोनों ने झोली फैलाकर अपनी कला का इनाम पाने के लिए लोगों से रुपये मांगने लगे...। कुछ लोगों ने दिया कुछ ने नहीं..। फिर गाते बजाते वो रेल की अगली बोगी में चले गए... और वही सब करतब दिखा दिखा कर लोगों का मनोरंजन करते रहे और अपनी आजीविका कमाते गए..।
तकरीबन दो तीन घंटे बाद...।
किष्ना:- ओ छिपकली.... चल ना अभी भूख लगी हैं... खाना खा लेते हैं..।
चिंकी:- हां चल....।
दोनों रेल से उतरकर पटरियों के किनारे जाकर बैठे और थैले में से खाना निकाला...।
जो पैकेट भावना ने दिया था वो खोला तो किष्ना बोला:- चिंकी एक समोसा ले ले क्या.... यार खाली रोटी अच्छी नहीं लगतीं.... चल ना एक ले लेते हैं ना.... आधा आधा खाएंगे..।
चिंकी:- चुपकर... तुझे तो समोसे के अलावा कुछ सुझता ही नहीं..। रोज तो खाता हैं ना खाली रोटी... फिर क्या बार बार समोसे की रट लगाता हैं... ।
किष्ना:- अरे मान जा.... आज सच में बहुत ईच्छा हो रही हैं... वो देख वो आदमी कैसे चटनी में डुबा डुबाकर खा रहा हैं...।
चिंकी ने किष्ना के हाथ के इशारे पर देखा तो स्टेशन पर बैंच पर बैठा एक शख्स सच में समोसा खा रहा था..। वो देख चिंकी के भी मन में पानी भर आया..।
किष्ना:- देखा... अरे साथ में चटनी भी मिलेगी.. रोटी पर लगाकर खाएंगे.... मस्त लगेगी...।
चिंकी:- ठीक हैं चल.... लेकिन सिर्फ एक ही लेंगे... पांच रुपये का आता हैं... पता हैं... और आधा मुझे भी देगा...।
किष्ना:- हां ठीक हैं...।
दोनों तय कर स्टेशन पर बनी एक छोटी सी स्टाल पर गए और एक समोसा लिया.... साथ में चटनी भी ली...।
वो वहां से फिर पटरियों के किनारे रखें पत्थरों पर आए और समोसे के दो भाग किए... रोटी भी दोनों ने बांटकर ली...।
चिंकी ने चटनी का पैकेट खोला और खुदकी और किष्ना की रोटियों पर आधी चटनी लगाई.... आधी बची हुई चटनी को फिर से अच्छे से बांधकर पास में रख दिया...।
किष्ना:- अरे ये चटनी किसके लिए रखी हैं...!!
चिंकी:- सुन पहले हम रोटी और चटनी खाकर देखते हैं... अगर अच्छी लगी तो ये वाली माँ बाबा के लिए ले चलते हैं..।
किष्ना:- तु पागल हो गई हैं क्या चिंकी....। अगर माँ को पता चला की हमने बाहर से समोसा खरीदा हैं तो वो हमारी चटनी बना देगी..।
चिंकी:- अरे मुझे भी पता हैं... माँ को पता चला तो मुझे ही मार पड़ेगी..। लेकिन हम माँ को बताएंगे ही नहीं की हमने चटनी या समोसा खरीदा हैं... हम कह देंगे किसी मुसाफिर ने पैसों के बदले हमें चटनी दी हैं..।
किष्ना:- हां फिर ठीक हैं... चल अभी खाते हैं.... जल्दी से.... बहुत भूख लगी हैं..।
वो दोनों वो आधा समोसा और चटनी लगी रोटी ऐसे खा रहे थे.... जैसे कोई बड़े से होटल में पिज़्ज़ा या बर्गर खा रहे हो...।
असल में उनके लिए तो ये किसी पिज़्ज़ा से कम स्वादिष्ट नहीं था..।
आगे क्या होता हैं उनकी जिंदगी में.... जानते हैं अगले भाग में...।
जय श्री राम...।
आने वाले साल की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ....।