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कुछ ख्वाहिशें मेरी भी...

6 जनवरी 2022

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अगले दिन तड़के ही चींकी के पिता पास की बस्ती में चले गए.... इस उम्मीद में की शायद वहाँ से कुछ खाने का इंतजाम हो जाए..। 

दोपहर होने को आई थी पर उनकी कोई खबर नही थी... यहाँ घर पर चिंकी और किष्ना की हालत बहुत खराब हो रहीं थी..। वो दोनों भूख की वजह से रो रहे थे... तड़प रहे थे..। 

चिंकी की माँ मैं भी अब इतनी हिम्मत नहीं थी की वो बाहर जाकर लोगों से कुछ मांगे.. मांगने से मिलना तय होता तो वो शायद अपनी आखिरी सांस तक भी कोशिश करतीं.. लेकिन वो भी मुमकिन नहीं था..। 
उनके पास इंतजार और उम्मीद लगाने के अलावा कोई रास्ता नहीं था..। 
बहुत देर होने के बाद भी जब चिंकी के पापा की कोई खबर नही आई तो उसकी माँ फिर से खाने की तलाश में पड़ोस के घरों में निकल गई....। 

इधर चिंकी से भी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था... भूख से तड़पती हुई लड़खड़ाती हुई चिंकी भी खाने के लिए कुछ खोजने घर से बाहर आई..। 

घर में सिर्फ किष्ना था जो जमीन पर बेसुध होकर लेटा हुआ था..। 

चिंकी घर के पीछे रखे हुए कबाड़ की तरफ़ गई। जहाँ उसके माता पिता अक्सर खाली बोतलें और पालीथीन बीनने के बाद सुखाने के लिए रखते थे..। 
चिंकी इस उम्मीद में वहाँ गई की शायद किसी बोतल में या पालिथीन में खाने या पीने लायक कुछ सामग्री रह गई हो...। 
वो एक एक करके सभी कबाड़ को यहाँ वहाँ फेंक रहीं थी..। रोते रोते.... ऊपर वाले से मिन्नतें करते करते.... भूख से बेहाल होकर बस ढूंढें जा रहीं थी की शायद कुछ मिल जाए..। 

बहुत देर तक चिंकी और उसकी माँ ऐसे ही भटकते रहे पर किसी को कुछ नही मिला... मजबूरन दोनों खाली हाथ घर वापस आए..। दोनों घर पहुंचे तो देखा की किष्ना जमीन पर मुर्छित  अवस्था में पड़ा हैं...। 
चिंकी की माँ बहुत घबरा  गई....। उसने तुरंत किष्ना को अपनी गोद में उठा लिया और उसे उठाने लगी... पर वो बेहोश था..। 
चिंकी झट से पानी ले आई और उस पर थोड़ा पानी छिड़का... वो थोड़ा होश में आया... पर अभी भी उठने या बोलने की हालत में नहीं था..। उसकी माँ उसे गोद में लेकर ही बिलखने लगी...। 

हे भगवान....! ये कैसी परीक्षा ले रहे हो हमारी.. क्या मांगा था हमने तुमसे..। कम कमाई में भी हम गुजारा कर रहे थे... कभी कोई शिकायत नहीं की आपसे... कभी कुछ नहीं मांगा आपसे... छोटी सी उम्र में ही बच्चों को कमाना सिखा दिया... इतना हूनर दिया मेरे बच्चों को.... अब उन्ही बच्चों की जान क्यूँ ले रहे हो. । अपने ही सामने अपने बच्चों को मरते हुए कैसे देखूँ भगवान...। आपको जो तकलीफ देनी हैं मुझे दे दो... पर मेरे बच्चों पर रहम करो..। भीख मांगती हूँ आपसे ...इनकी वो हंसी.... वो आपस में लड़ना झगड़ना.... सब वापस दे दो भगवान.... सब वापस दे दो..। 
अपनी माँ को ऐसे रोते बिलखते देख चिंकी भी रोने लगी..। 

तभी एक शख्स चिल्लाता हुआ उनके घर आया.... सोहनलाल का घर ये ही हैं क्या...? 
चिंकी दौड़ती हुई दरवाजे पर आई और बोली:- हां अंकल ये ही हैं... क्या हुआ..। 
शख्स:- तुम्हारे घर में कोई बड़ा हो तो उसको बुलाओ बेटा..। 
तभी आवाज सुनकर चिंकी की माँ भारती भी बाहर आई..। 
भारती:- क्या हुआ साहब...!आप कौन हैं....? 
शख्स:- तुम कौन हो...? 
भारती:- मैं उनकी पत्नी हूँ....। 
शख्स:- सोहनलाल कहाँ गया हैं....! कुछ मालूम हैं..? 
भारती:- हां साहब वो पास वाली बस्ती से कुछ खाने के लिए लेने गए हैं...। 
शख्स:- उनका कोई फोटो हैं तुम्हारे पास...? 
भारती:- बात क्या हैं साहब....आप हो कौन....और ये सब क्यूँ पुछ रहे हो...। 
शख्स:- मैं एक पुलिसकर्मी हूँ.... सादे कपड़ों में रहकर लोगों पर नजर रखता हूँ.... ताकि कोई लाकडाऊन ना तोड़े..। पास की बस्ती से अभी एक शख्स को अस्पताल में भर्ती करवाया गया हैं... लेकिन वो शख्स उस बस्ती का नहीं हैं...। उसको सांस की तकलीफ हो गई थी..। बड़ी मुश्किल से पुछताछ करते हुए यहाँ तक पहुंचा हूँ..। तुम्हारे पास कोई फोटो हो तो दिखाओ ताकि पक्का हो सकें... की ये वो ही शख्स हैं...। 
भारती:- नहीं साहब फोटो तो नहीं होगा..। हम तो कबाड़ी वाले हैं साहब.... कोई फोन भी नहीं हैं... ना कोई फोटो हैं.... । 
शख्स:- ठीक हैं कोई बात नहीं.... मैं अभी अस्पताल में फोन करके फोटो मंगवा लेता हूँ.... तुम देखकर बता देना..। 

उस शख्स ने हास्पिटल में फोन करके फोटो मंगवा लिया और भारती को दिखाया...। 
फोटो देखते ही भारती जोर जोर से बिलखने लगी...। 
भारती:- ये चिंकी के पापा ही हैं साहब.... कौनसी अस्पताल में.... मुझे ले चलिए वहाँ..। 
पुलिसकर्मी:- देखिए बहनजी... हम अभी आपको वहाँ नहीं ले जा सकते.... पहले उनकी जांच होगी कोरोना की...। अगर पाजिटिव आया तो आपको मिलने भी नहीं दिया जाएगा...। आप अभी यही बस दुआ किजिए की रिपोर्ट नेगेटिव आए..। 
बाकी जो भी खबर होगी... मैं आपको बता दुंगा...। अभी चलता हूँ...। 

पुलिसकर्मी वहाँ से चला गया...। 
लेकिन भारती के तो जैसे पैरों तले जमीन खसक गई हो..। 

एक भूखमरी... 
गरीबी.. 
ऊपर से ये बिमारी... 

उसका रो रोकर बुरा हाल था..। 
ऊपर से ये खबर आग की तरह बस्ती में फैल गई.... बस फिर क्या था.... सभी लोगों ने उनके परिवार से दूरी बना ली.... और उनको बाहर ना आने की हिदायत दी...। 


आगे क्या होगा चिंकी की जिंदगी में.... और उसके परिवार के साथ जानते हैं अगले भाग में..। 




काव्या सोनी

काव्या सोनी

Lajwab likha aapne 👌👌

6 जनवरी 2022

कविता रावत

कविता रावत

सच एक तो गरीबी और उपर से ये ऐसी बीमारी, हर तरह से अमीरों से होकर गरीब तक पहुंचकर उनकी ही मरणती होती है बहुत अच्‍छी चिंतनशील सामयिक प्रस्‍तुति

6 जनवरी 2022

Diya Jethwani

Diya Jethwani

6 जनवरी 2022

शुक्रिया जी.. 🙏

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