मैं कहाँ खो गया?????
कच्ची उम्र हैं,कच्चा हैं रास्ता,पर, पक्की हैं दोस्ती,पक्के हैं हम,उम्मीदों,सपनों का कारवां लेकर चलते,खुद पर भरोसा कर,कदम आगे बढाते,चुनौतियाँ बहुत हैं,ख्वाब हैं लम्बे,पर, जन्मभूमी ही हमारी पाठशाला होती,धरती की नींव में अपनी रूढ़ जमाए,दिन-रत समय की चक्की में पिसते,सुकोमल-सा पुष्पों जैसा मेरा जीवन......