जीवन पानी का बुलबुला, पानी के मोल मत समझो,
जीवन का हैं दूसरा नाम , प्रकृति का अमूल्य उपहार, जीवनदायिनी तरल, पानी
की तरह मत बहाओ, पूज्यनीय हमारे हुए अनुभवी, घाट- घाट का पानी पीकर, जिन्हें हम, पिन्डा पानी देते, तलवे धो- धोकर हम पीते, ×---×----×-----×---×--× सामाजिक प्राणी है,
जल में रहकर, मगरमच्छ
से बैर नहीं करते, लेकिन ,बात जब मान की हो, जब सिर से पानी गुजर जाए, तो, दूध का दूध, पानी का पानी करना, व्यंग्य वाण से पानी- पानी करना, फिर भी, काम ऐसे ना करना, किए धरें पर पानी फिर जाए, या इज्जत पर घडो पानी फिर जाए, हुक्का - पानी बंद हो जाए, या दाना- पानी उठ जाए, मारे शरम के, पानी- पानी होकर, चुल्लू भर पानी में डूब मरना पड जाए। जलसम ,जीवन का आधार, इसलिए, जल है तो कल है ।