हे प्रिये ,तेरे प्रणय को आज मैं ठुकरा रहा हूँ. मैं जना हूँ जिसकी खातिर ,मैं वहां पर जा रहा हूँ .तेरी चाहत से अधिक प्यारी है माँ की आबरू ,छोड़कर आँचल तिरा उसको बचाने जा रहा हूँ .मेरी नन्ही सी बेटी को हिमालय सा बड़ा करना ,मैं अपनी जान दे सरहद बचाने जा रहा हूँ . (कारगिल का युद्ध लड़ रहे जवान के मुख् से )