तुम युग की आशा हो युवको ,तुम भारत की अभिलाषा हो. संस्कारों के पाल्य तुम्हीं हो , तुम संस्कृति की भाषा हो . हो रूप तुम्हारा दिव्य चिरंतन , प्रकृति न्र तुमको प्यार दिया . तुम भविष्य के कलाकार हो , तुमने जग साकार किया . तुम्हें यशोदा के पलने की मधुर थपकियाँ सुला रहीं. ,तुम्हें नन्द की सकल सुरभियां , वृंदावन मैं बुला रहीं . कौशल्या के मातृमोह के बने तुम्हीं उच्चारण थे , तुम्हीं वियोगिनी शकुंतला की शीतलता के कारण थे .गुरुद्रोण की प्रतिमा पूजक , चक्रव्यूह के विध्वंशक . तुम प्रताप के अमरतेज हो , पन्ना के इतिहास, प्रशंसक . तुम बैजू तुम तानसेन हो .तुम बाल्मीक तुम तुलसी ,सूर .तुम सृष्टि के आदि रत्न हो ,नहीं क्षितिज से हो तुम दूर . विप्लव के हो हो हो क्रांतिगीत ,तुम आशाओं की आशा हो ,जीवन की चिर शान्ति तुम्ही हो ,जीवन की परिभाषा हो .