उठ प्रचण्ड पार्थ हाथ गांडीव धार ले , देशद्रोहियों के शीश गात से उतार दे . खण्ड खण्ड हो रहे राष्ट्र को अखण्ड कर , वीर पुत्र भारती राष्ट्र ऋण उतार दे . तू शिवा, प्रताप तू पांचजन्य नाद तू , बिस्मिल है तू सुभाष तू . गंगा यमुना की आन तू , आजाद हिन्दुस्तान तू . तू अकेला है नहीं ,तू मुझे पुकार ले ........