ईश्वर ने पावन प्रतिमा ऊपर से उतारी है . जिसके तप बल से कुदरत भी हारी है . है नेह भरा आँचल, करुणा है अाँखों में .ममतामय जीवन है, खुशबू है बातों में .है त्याग समर्पण जिसमें भारत की नारी है ............ आँचल में फूल भरे जीवन में कांटे हैं , दुःख ले लेकर सबके इसने सुख बांटे हैं . खुद तिल तिल मर मर कर सबकी तकदीर सँवारी है ......... पहले बाबुल की ताड़ना ,जिसका फिर साजन घर द्वार . फिर बेटे की शरण में, यही तिरा संसार जिसका है कुछ भी नहीं ऐसी बेचारी है ........ .है राम के पहले सीता ,कान्हा आगे राधा ,सह सहकर जिसने खुद रिस्तों में बांधा .झेला है दर्द बहुत फिर भी न उचारी है .........