तन को सजा के क्या होगा ,अपने मन का श्रृंगार करो. फूलों को तोड़ो मत साथी केवल खुशबु से प्यार करो . स्वार्थ भरा जब मन होगा तो स्वार्थ भरा ही तन होगा, .गृह मन मैला किया अगर तो कैसे निर्मल आँगन होगा . जीवन मैं विपदाओं से हारा कभी नहीं करते , संघर्षों की बलिबेदी पर चढ़ने से कभी नहीं डरते . जो डरते बाधाओं से वो रोज रोज ही मरते हैं. ,जो इक पल साथ तुम्हारा दे ,तुम उसका आभार करो . फूलों को तोड़ो मत ......... ............................ प्रीत के फूल सदा खिलते हैं ,प्रीत से बनते गीत सदा. .प्रीत की रीति अनोखी है , प्रीति से होती जीत सदा . न करो किसी का तिरस्कार तुम सबका सत्कार करो. फूलों को तोड़ो मत ...................................................... धर्म प्रकाश चौरसिया ,संस्कृति महिला बाल विकास संस्थान ,सकरार झाँसी उ. प्र मो. न. .9598304834