पापा कितने झंझावात छिपाए हो तुम , अंतस की गहराई मैं . जैसे कोई सीप मैं मोती सागर की गहराई मैं . अनुसाशन मैं नेह भरे मेरे भविष्य की अभिलाषा ,सबके पापा ही सिखलाते सच्चे जीवन की परिभाषा . साथ तुम्हारा येसा पापा ,ज्यों सावन अमराई मैं . जैसे कोई सीप मैं मोती ............................................ मैं रोया तो कोमल आंसू पापा तुमने थाम लिए , मेरे कोमल पैरों को अनगिन्ते सोपान दिए . जब जब मन बेचैन हुआ मेरा बल बन आये तन्हाई मैं . जैसे कोई सीप मैं मोती ................................................