तुम्हारे आने की एक आहट, से जिंदगी मुस्कुरा रही है . मधुर अबोली तुम्हारी भाषा, प्रणय की सरगम सुना रही है. तुम्हें न देखा तुम्हें न जाना , ये पदचाप ह्रदय पे क्यों हो रही है . कहीं से आती अजानी खुशबू, जो मेरे मन को लुभा रही है . किसी के देवत्व का अनुग्रह, निराश जीवन को आस देदे . घने तिमिर से भरा ये जीवन, शुभ प्रीतमय नव उजास देदे . तुम्हारी अनुभूति मेरे ह्रदय मैं , ममत्व दीपक जला रही है .................. बरस रही हैं ये मेह बूंदें, मगर जल से है रिक्त क्यों मेरा जीवन . न सावन ने देखा भटककर कभी , भरा शुष्कता से ये अभिशप्त मधुवन . इति हो गई है सहने की क्षमता, शनैः शनैः तन को तड़पा रही है . ................
.