यह पुस्तक मेरी भूली-बिसरी यादों के पिटारे के रूप में प्रस्तुत है। मैंने इस पुस्तक में अपने दैनन्दिनी जीवन के हर पहलू के जिए हुए खट्टे-मीठे पलों को उसी रूप में पाठकों तक पहुँचाने का प्रयास किया है। मेरी इस पुस्तक के लगभग सभी संस्मरण देश-प्रदेश के विभिन्न प्रतिष्ठित समाचारों पत्रों में प्रकाशित होते रहे, जिससे मुझे निरंतर लिखने के लिए उत्साह और ऊर्जा मिलती रही। इन संस्मरण को रचाते-बसाते हुए मुझे एक अलग तरह की सुखद अनुभूति हुई। इन संस्मरण में जहाँ एक ओर मैंने अपने संवेदन मन के उमड़ते-घुमड़ते भावों को व्यक्त किया है, वहीँ दूसरी ओर पाठकों को कुछ न कुछ सार्थक सन्देश देने का भरपूर प्रयास किया है। मैं समझती हूँ कि पाठकों को निश्चित ही मेरे इन संस्मरण को पढ़कर सुखद अनुभूति का अहसास होगा। मेरी हार्दिक आकांक्षा है कि मेरे संस्मरण का यह संग्रह अधिक से अधिक जनमानस तक पहुँचे, क्योंकि इन्हें मैंने संवेदना के स्वर, प्रकृति के सानिध्य और आपसी भाई-चारे व धर्म-संस्कृति के विविध रंगों से रचाया-बसाया है। मुझे आशा और विश्वास है कि मेरे पाठकगण इन भूली-बिसरी यादों में मेरे साथ गोते लगाते हुए आनन्द और रोमांच का भरपूर अनुभव करेंगे।
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