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बूढ़ी अम्मा

12 अप्रैल 2024

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आज बूढ़ी अम्मा उदास है।अकेली है। कहने को तो चार बेटे है, मगर केवल नाम के है। कमरे के एक कोने में बूढ़ी अम्मा बैठी रहती है। जो मिलता वह खा लेती।जो मिलता पहन लेती, मगर कभी किसी भी बेटे से शिकायत नहीं करती थी। बहुएं भी कुछ कम नहीं थी। कभी _कभी ताने भी सुनाया करती थी।बस.... जिंदगी की आखिरी सफर से गुजर रही थी बूढ़ी अम्मा।
कभी_कभी अपने बीते दिनों की अचानक जब याद आती,तो बूढ़ी अम्मा की आंखें नम हो जाती थी।आज अगर वह जिंदा रहते तो क्या इसी दशा में बूढ़ी अम्मा रहती। नहीं, बिल्कुल नहीं। मगर, समय के चक्र को कौन रोक सकता था? एक दिन की बात है.... बूढ़ी अम्मा गिर गई, और दर्द के कारण कराहने लगी। इसी बीच, बड़ी बहू आई  और उठाते हुए चिल्लाकर बोली"यह बुढ़िया भी ना एक जगह बैठ नहीं सकती है। हमलोग भी इसके कारण सुख की रोटी खा नहीं पाते हैं।"उसकी बातें सुनकर बाकी तीनों बहुएं हंसने लगी।
फिर किसी तरह बूढ़ी अम्मा अपने कमरे में जाकर लेट गई,और दर्द से परेशान होकर कराहने लगी।मगर,कोई भी बहू जाकर मालिश नहीं की। शाम को सभी बेटे आए, बूढ़ी अम्मा के गिरने की खबर सुने। मगर, कोई भी नहीं गया। किंतु, पड़ोसियों की डर से बड़ा बेटा दर्द की दवाई लाया,और खाना खिलाकर दवाई देते हुए कहा"यह क्या अम्मा,अब तुमको एक जगह बैठना चाहिए। क्या इधर _उधर करती रहती हो।"दवाई देकर बेटा चला गया।
उसी रात को बूढ़ी अम्मा रात भर दर्द से कराहती रही। बेटे_बहू सुनते रहें, मगर कोई भी नहीं आया। सुबह सब जगे, लेकिन बूढ़ी अम्मा नहीं जगी।वह इस नरक भरी जीवन से मुक्ति पा चुकी थी। बड़ा बेटा बोला"छोटे, बूढ़ी अम्मा के कमरे को साफ कर दो। बेकार में वह कमरा अम्मा फसा कर रखी थी। आदेश का तुरंत पालन किया गया।आज भी बूढ़ी अम्मा की कहानी घर_घर की कहानी है।
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बूढ़ी अम्मा
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इस किताब में सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं को दर्शाया गया है।मानव विकास तो कर रहा है,मगर रिश्तों की अहमियत को भूल रहा है।

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