सुबह का समय
पंछी का घर
दिल्ली
पंछी की मां किचन में खाना बना रही थी और मीरा सोफे पर बैठ कर कुछ सब्जियां काट रही थी ।
और पंछी के पापा इस वक्त टहलने गए हुए थे ।
सभी अपना अपना काम कर रहे थे तभी पंछी के कमरे से चिल्लाने की आवाज़ आती है ।
पंछी की मां जल्दी से उसके कमरे में गई और उनके पीछे पीछे मीरा भी पहुंच गई ।
पंछी कुछ सोचते हुए बेड पर बैठी हुई थी । पंछी की मां सोनल जी उनके पास आकर - क्या हुआ गुड़िया , ऐसे चिल्लाते हुए क्यों उठी ।
पंछी - कुछ नहीं मां एक बुरा सपना देख लिया था ।
सोनल जी - अब ऐसा भी क्या देख लिया कि ऐसे चिल्लाते हुए उठ रही हो ?
पंछी - ठीक है बता रही हूं ।
दरअसल सपने में हुआ ये कि मैं अपने कॉलेज पहुंची और वहां मुझे मेरे सीनियर्स ने डांस करने बोल दिया ।
सोनल जी - तो फिर तुमने किया, डांस ।
पंछी - कहां से करूंगी मां मुझे तो आता ही नहीं है ।
मैंने अपने सीनियर्स को भी बोला कि मुझे नहीं आता डांस पर वो लोग भी अड़ गए कि उन्हें मेरा डांस देखना ही है ।
मीरा बेड पर बैठते हुए - फिर।
पंछी - फिर क्या था मैंने भी कत्थक करना चालू कर दिया ।
सोनल जी - तुम्हें कत्थक आता है , कहां से सीखा , मुझे तो नहीं पता इस बारे में 😳।
पंछी - इसमें सीखने वाली क्या बात है माँ , बस हाथ फेंक दो ऐसे ऐसे ( करके दिखाती है। )। मेरी नज़र में तो यही कत्थक है।
सोनल - ऐसे थोड़ी होता है कत्थक उसके लिए कितनी मेहनत चाहिए होती है ।
पंछी - मम्मी आपको पता है कि कत्थक कैसे किया जाता है उन लोगों को थोड़ी न पता था 🤨।
मीरा - मम्मी जाने दीजिए न , (पंछी से )आगे क्या हुआ ?
पंछी - फिर क्या होना था दी , मैंने अपने हाथ पैर हिलाने चालू रखे और इतने में एक सीनियर को मेरे हाथ से चोट लग गई और वो मर गया ।
सोनल जी - मतलब इतने उटपटांग सपने तो तुम ही देख सकती हो ,हाथ लगने से भी कोई मरता है भला ।
वो भी तुम्हारे इन लकड़ी जैसे हाथों की मार से तो कभी नहीं ।
पंछी मुंह बनाते हुए - मम्मी हाथ न उसके गर्दन पर लगा था तो वो मर गया । गर्दन पर चोट लगने से जल्दी मरते हैं । और रही बात पतले हाथों की तो मम्मी डोंट अंडरस्टीमेट द पॉवर ऑफ ए पतली लड़की । इतना कहकर वो खिलखिलाने लगी।
सोनल जी - सब मेरी ही गलती है जब तुम पैदा होने वाली थी तो मैंने कुछ ज्यादा ही फिल्में देख ली थी ये उसी का नतीजा है कि तुम बात बात पर फिल्मी डायलॉग मारने लग जाती हो ।
क्या करूं मैं इस लड़की का ऐसे खुद में ही बड़बड़ाते हुए वो कमरे से बाहर चली जाती हैं ।
मीरा - छोटी अब जल्दी से तैयार हो जा आज पहला दिन है न तेरा ।
पंछी - हां दी , मैं बस जा ही रही थी ।
और वो अपने कपड़े उठाकर नहाने चली गई ।
काव्या का रूम
गर्ल्स हॉस्टल
काव्या बाथरूम से नहा कर आती है उसने ब्लू कलर का सलवार सूट पहना हुआ था । वो कमरे में आकर तौलिए को एक साइड रख देती है ।
अपने साथ लाए हुए कान्हा जी की मूर्ति को वो बैग से निकाल कर साफ़ करके पूजा कर लेती है ।
फिर अपने बुक्स को बाहर निकाल कर उनको थोड़ा सा रीड करके रख देती है ( बहुत पढ़ाकू लड़की😳 ) ।
अब वो बेड पर बैठी सोच रही होती है कि क्या करे तभी निधि का फ़ोन आ जाता है ।
निधि - गुड मॉर्निंग काव्या , क्या कर रही है अभी ?
काव्या - गुड मॉर्निंग , कुछ नहीं बस ऐसे ही बैठे हुए थे ।
तुम क्या कर रही हो ?
निधि - तुमसे बात और वह हंसने लगती है ।
काव्या - निधि.......
निधि - कुछ नहीं अभी कॉलेज के लिए बस का इंतज़ार कर रही थी तो सोचा तुझे कॉल कर लू ।
काव्या - अच्छा । निधि सुनो ना हमे न बहुत घबराहट हो रही है ।
निधि - किसलिए ?
काव्या - कॉलेज ।
निधि - डोंट वरी कुछ नहीं होगा चिल और ऑल द बेस्ट आज के लिए ।
अच्छा रखती हूं मेरी बस आ गई बाय ।
काव्या - बाय।
काव्या अपनी मां को फोन करती है ।
काव्या - नमस्ते मां कैसी हैं आप ?
काव्या की मां रमा जी - हम भी ठीक हैं और तुम बताओ कैसी हो ?
काव्या - हम भी ठीक है मां और पिता जी कहां है ?
रमा जी - वो तो थोड़ी देर पहले ही शोरूम चले गए , शाम को बात करवाते हैं तुमसे । और तुम्हारे रूम में तुम अकेली हो तुम्हारी कोई रूम मेट आई की नहीं ।
काव्या - कहां मां ये तो शुद्ध शाकाहारी हॉस्टल है ना तो बहुत कम लड़कियां हैं ।
रमा जी - बेटा तुम्हें डर तो नहीं लगेगा न अकेले ?
काव्या - नहीं लगेगा मां आप चिंता मत करिए ।
अच्छा मां अभी रखते है , नाश्ते का समय हो गया है ।
रमा जी - ठीक है बेटा और खाना अच्छे से खाना । और अपना खयाल रखना ।
काव्या - हां मां आप भी अपना खयाल रखिएगा । रखते हैं ।
तभी वार्डन के सीटी बजाने की आवाज़ आती है ।
काव्या जल्दी मेस चली जाती है ।
मेघा का घर
मेघा - आई , आई। मेरी ब्लैक वाले शूज कहां हैं ?
मेघा की मां निशा जी - अरे तेरे शू स्टैंड पर ही तो रखी हुई थी।
मेघा - नहीं मिल रही है आई ।
निशा जी - आ रही हूं मैं ।
निशा जी कमरें में पहुंचती है और उन्हें शूज बेड के नीचे मिलते हैं ।
निशा जी - देवा क्या करूं मैं इस मुलगी ( लड़की ) का इतनी बड़ी हो गई है फिर भी अपने सामान को ढंग से रखना नहीं जानती है ।
मेघा शूज पहनते हुए - आई, देवा से बाद में मेरी शिकायत करना पहले ये बता खाने में क्या है ?
निशा जी - थाली पीठ बनाई है तुझे बहुत पसंद है ना ।
मेघा निशा जी के गाल खींचते हुए - आई तू कितनी अच्छी है , कितना खयाल रखती है मेरा ।
निशा जी - बस बस इतना ही मक्खन लगा ।
मेघा - आई बाबा क्या कर रहे हैं अभी ।
निशा जी - वो टेबल पर बैठ कर तेरा इंतज़ार कर रहे हैं, उन्हें तो तू जानती है तेरे बिना कभी खाना नहीं खाते ।
मेघा भाग कर अपने पापा के पास जाती है और उनके गले लग कर - गुड मॉर्निंग बाबा ।
देवाशीष जी - गुड मॉर्निंग गोडू । तैयार हो गई ।
मेघा कुर्सी पर बैठते हुए - हां बाबा मैं तो तैयार हूं ।
देवाशीष - चल अब जल्दी से खाना खा ले ।
तीनों खान खाने बैठते हैं ।
खाने के बाद निशा जी दोनों को टिफ़िन देती हैं।
देवाशीष जी - स्कूटी ध्यान से चलाना गोडू और
मेघा - और धीरे धीरे चलाना, सिग्नल देखकर चलाना ।
और कुछ ?
देवाशीष जी - नहीं, बहुत समझदार हो गई है मेरी गोडू तो ।
मेघा - और नहीं तो क्या ।
मेघा अपने आई बाबा के गले लगकर जल्दी से कॉलेज के लिए निकल जाती है ।
सोना का घर
सोना टेबल पर बैठ कर पराठे खा रही होती है । मिंटी भी बगल में बैठी हुई होती है । उसके पापा थोड़ी देर पहले ही काम पर निकल गए ।
सोना की मां लतिका जी - सोना और एक पराठा ।
सोना - नहीं मम्मी हो गया ।
लतिका जी - अभी तीन पराठे ही तो खाए हैं बस ।
सोना - ठीक है मम्मी पर सिर्फ आपके लिए ।
मिंटी - मम्मी आप न मुझसे ज्यादा दी से प्यार करते हो, मुझे तो एक बार भी नहीं पूछा पराठा खाने के लिए ।
सोना - क्योंकि तुझे कचरे के डब्बे से उठा के लाए हैं ना इसलिए ।
मिंटी - मां देखिए ना………
लतिका जी - सोना बेटे ऐसा नहीं बोलते ।
सोना - ठीक है मां ।
मिंटी - दी आपको कॉलेज नहीं जाना ?
सोना - जाना है ना पर अभी तो बहुत टाइम है ।
मिंटी - कहां टाइम है , 9:15 हो चुके है और 9:30 में आपकी बस है ।
सोना - क्या !
मिंटी - हां ?
सोना - ओ माय गॉड । मम्मी लव यू मैं जा रही हूं ।
इतना कहकर वो भागते हुए बस स्टैंड पहुंचती है । बस स्टैंड घर से ज्यादा नहीं दूर था इसलिए वो चलकर ही वहां तक जाती थी।
वहां जाकर बस का इंतज़ार करने लगती है ।
क्या ये लड़कियां ठीक से कॉलेज पहुंच पाएंगी या रास्ते में भी कुछ गड़बड़ होने वाली है जानने के लिए पढ़िए अगला भाग ।