24 जून 2015
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मैं चेनारी रोहतास बिहार का रहने वाली हूँ। बी०एसी०की छात्रा हूँ मेरी रूचि साहित्यिक रचनाओं को पढने के साथ-साथ लेखन क्षेत्र में भी है,मन में उठे भाव को शब्दों के माध्यम से जोड़कर लोगों के सामने बिखेरना ही मेरा काम है।D
धन्यबाद आप सबो को
25 जून 2015
बहुत सुन्दर रचना
25 जून 2015
अब तुम्हारे साथ रहने को दिल करता है, साथ में रहकर हँसने को दिल करता है, जब दूर रहना था हम दोनों को यहां पर, तो ईश्वर ने साथ आने की इजाज़त क्यों देता है । बहुत सुंदर रचना निवेदिता जी।
24 जून 2015
उत्तम रचना ! बधाई !
24 जून 2015
धन्यबाद मंजीत सिंह जी
24 जून 2015
वो कहने लगी, नकाब में भी पहचान लेते हो हजारों के बीच ? मै ने मुस्करा के कहा, तेरी आँखों से ही शुरू हुआ था “इश्क”, हज़ारों के बीच.” .... क्या बात ... सुन्दर रचना ..... निवेदिता जी ......
24 जून 2015