14 मई 2015
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मैं चेनारी रोहतास बिहार का रहने वाली हूँ। बी०एसी०की छात्रा हूँ मेरी रूचि साहित्यिक रचनाओं को पढने के साथ-साथ लेखन क्षेत्र में भी है,मन में उठे भाव को शब्दों के माध्यम से जोड़कर लोगों के सामने बिखेरना ही मेरा काम है।D
यादें अक्सर आने के लिए ही होती हैं निवेदिता जी मेरे पास भी बहुत सी यादें हैं जो बीच बीच में आकर मुझे जगाया करती हैं ....
15 मई 2015
दिल से आभार पुष्पा जी
14 मई 2015
मेरी रचना पसंद करने के लिए अनामिका जी और शब्दनगरी संगठन को दिल से आभार
14 मई 2015
यादों का दर्द शब्दों की माला में बहुत अच्छी तरह पिरोया है आपने ... बहुत सुन्दर रचना .. बधाइयाँ
14 मई 2015
निवेदिता जी, आपने 'यादों' के मोतियों को कविता की माला में पिरोकर सराहनीय रचना की है...आभार !
14 मई 2015