... पहले भी इस तरह की ख़बरें आती रही हैं, जो निश्चित तौर पर सभी के लिए चिंताजनक है. बताते चलें कि रेलवे के इस तरह की वेबसाइट हैकिंग में लोगों का व्यक्तिगत डेटा चुराया जा सकता है, जैसेकि पैन कार्ड का नंबर, आधार कार्ड की डिटेल्स, मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी इत्यादि. रेलवे की वेबसाइट से चोरी हुए डेटा का इस्तेमाल कर फर्जी दस्तावेज भी बनाया जा सकता है, जो कहीं ज्यादा घातक साबित हो सकता है. ऐसे में किसी के दस्तावेज का इस्तेमाल कहाँ और किन गलत उद्देश्यों के लिए हो रहा है अथवा होगा, इस बात का पता लगाना भी मुश्किल है. हालाँकि, आईआरसीटीसी हैकिंग के आरोपों पर सफाई देते हुए कहती है कि मामले को बेवजह तूल दिया गया है. आईआरसीटीसी के अनुसार जो चुराया गया है उसके लिए हैकिंग की कोई जरूरत ही नहीं है, सिर्फ पीएनआर(PNR) से इन सारी जानकारियों का पता लगाया जा सकता है. पर सवाल उठता है कि पीएनआर स्टेटस चेक करने पर यात्री के नाम, सीट नंबर के साथ बोगी नंबर ही शो होता है, उसमें कहीं भी किसी पहचान-पत्र का कोई जिक्र ही नहीं होता है ना ही ..
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