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दिल के जज़्बात

14 नवम्बर 2021

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यूँ न खेला करो दिल के ज़ज्बात से

ज़िन्दगी  थक  गयी  ऐसे  हालात से।

रोज़  मिलते  रहे  सिर्फ  मिलते  रहे .

अब तो जी भर गया इस मुलाक़ात से।

ख्वाब में आता हँसता लिपटता सनम ,

हो  गई  आशनाई  हमें  रात  से।

गा रहा था ये दिल हँस रही थी नज़र ,

क्या पता आँख भर आई किस बात से।

इल्म और फ़न को अब पूछता कौन है ,

पूछे  जाते  यहाँ  लोग औकात से।

-सतीश मापतपुरी

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इसमें गीत ग़ज़ल और गीतिका का संग्रह है।
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<p>यूँ न खेला करो दिल के ज़ज्बात से</p> <p>ज़िन्दगी थक गयी ऐसे हालात से।</p>

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