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शब के धोखे में चँदा उतर आएगा

16 नवम्बर 2021

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तुम खुले केश छत पे न आया करो,

शब के धोखे में चँदा उतर आएगा ।

बेसबब  दाँत  से  होंठ  काटो  नहीं ,

क्या पता कौन बेवक़्त मर जाएगा ।

 होंठ  तेरे  गुलाबी  शराबी  नयन ।

संगमरमर सा उजला है तेरा बदन ।

इतना सजने संवरने से तौबा करो  ,

 टूट कर आईना भी बिखर जाएगा ।

शब के धोखे में चँदा उतर आएगा ।

सारी दुनिया ही तुम पर मेहरबान है ,                                                                                          देख तुमको फरिश्ता भी हैरान है ।

मुसकुरा कर अगर तुम इशारा करो ,

आदमी क्या खुदा भी ठहर जाएगा ।

शब के धोखे में चँदा उतर आएगा ।

तुम  तसव्वुर  की  रंगीन  तस्वीर हो ,

 कौन होगा बशर जिसकी तकदीर हो ।

मेरे  गीतों  को होठों  से  छू लो जरा, 

बेसुरा  जो वो सुर में उतर आएगा ।

शब के धोखे में चँदा उतर आएगा ।

…….. सतीश मापतपुरी

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